यह स्थिति तो झालावाड़ जिला मुयालय के अ श्रेणी जिला अस्पताल की है। गांवों व कस्बों के चिकित्सालयों में तो इससे भी कम दवाइयां हैं। दवाओं की इस स्थिति में वर्ष 2025 में बदलाव आने वाला है। जिला आयुर्वेद चिकित्सालयों में दी जाने वाली 70-80 तरह की दवाओं की जगह 150 से 160 तरह की औषधियां आएगी। वहीं आयुर्वेद स्वास्थ्य केन्द्रों पर आने वाली 40 से 42 तरह की दवाओं की जगह 80 से 85 तरह की औषधियां मिल सकेंगी।
प्रदेश में यह है स्थिति प्रदेश में जिला चिकित्सालय 33 है, वहीं आयुर्वेद चिकित्सालय 88 हैं। जिनमे झालावाड़ में 3, भीलवाड़ा में 4, चितौडगढ़ में 3, अजमेर में 8, अलवर में 6, बांसवाड़ा में 2, बारां में 1, भरतपुर में 4, चूरू में 4, धौलपुर में 1, डूंगरपुर में 2,गंगानगर में 2, हनुमानगढ़ में 2, जयपुर में ए 5, जयपुर बी में 3, जालोर में 2, झुंझनूं में 2, जोधपुर में 2, उदयपुर में 6 चिकित्सालय है। इसके साथ ही प्रदेश में 3578 आयुर्वेद औषधालय है। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय व औषधालय, पंचकर्म केन्द, चल चिकित्सा इकाइयां हैं। जिनमें उपचार कराने वालों को दवाइयां आने पर लाभ होगा।
साटवेयर से होगी मॉनिटरिंग आयुर्वेद विभाग में दवाओं की नए साल में एलोपैथी दवाइयों की तरह मॉनिटरिंग होगी। इसके लिए विभाग की ओर से एक सॉटवेयर बनवाया जा रहा है। जिसमे रोजाना की दवा वितरण,दवा की उपलब्धता सहित अन्य सभी जानकारियां एक क्लिक पर मिल सकेगी। अभी विभाग में रजिस्टर में एंट्री की जाती है।
प्रदेश में आयुर्वेद की चार फॉर्मेसी प्रदेश में आयुर्वेद औषधियां चार फार्मेसी से भेजी जाती है। ये फार्मेसी जयपुर, जोधपुर, उदयपुर व भरतपुर में हैं। इन सभी में अलग-अलग दवाएं बनाई जाती है। इनके साथ ही अब विभाग की ओर से बाहर की फार्मेसी से भी औषधियां खरीद कर अस्पतालों में पहुंचाई जाएगी। विभाग में करीब 40 करोड़ रुपए की दवा आनी है।
दवा की नहीं रहेगी परेशानी आयुर्वेद चिकित्सालयों में अब दवाओं की कमी नहीं रहेगी। आयुर्वेद फार्मेसी को 15 अन्य दवाओं के लिए कहा है। विभाग की ओर से फॉर्मेसी के अलावा भी दवा खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है। अगले वर्ष जनवरी के बाद दवा की कमी नहीं होगी।
आनन्द शर्मा, निदेशक, आयुर्वेद विभाग