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बुंदेलखंड में BJP नेताओं की कठिन परीक्षा, गिनती 1 से आगे बढ़ाने की चुनौती

BJP नेताओं के लिए बुंदेलखंड की चुनावी डगर आसान नहीं है।

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Nitin Srivastva

Sep 21, 2016

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झांसी. यूपी इलेक्शन में '265+' के लक्ष्य के साथ प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का सपना संजोने वाले BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य जैसे नेताओं की सबसे कठिन परीक्षा बुंदेलखंड में होने वाली है। 19 सीटों वाले बुंदेलखंड में पार्टी नेताओं के सामने विधायकों की गिनती 1 से आगे बढ़ाने की चुनौती है क्योंकि मौजूदा समय में बुंदेलखंड में से केवल एक झांसी सीट ही भाजपा के पास है। इसमें सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2007 के चुनाव में तो भाजपा यहां खाता भी नहीं खोल सकी थी।

इस तरह से बनाए जा रहे हैं जीत के समीकरण
भारतीय जनता पार्टी के नेताओँ को भी बुंदेलखंड में पार्टी की दुश्वारियों का अहसास है। शायद, इसीलिए पार्टी के नेता दूसरे दलों से लोगों को लाकर जीत का ताना-बाना बुनने में लगे हैं। इसका सबसे पहला उदाहरण तो मऊरानीपुर विधानसभा सीट पर सामने आया। यहां से भाजपा के तीन बार के विधायक रहे प्रागीलाल के बसपा में चले जाने के बाद यहां एक अदद बड़े चेहरे का संकट नजर आने लगा था। इसीलिए पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री बिहारी लाल आर्य को पार्टी में शामिल किया। फिर मऊरानीपुर सीट से ही बसपा विधायक रहे पूर्व मंत्री भगवती सागर को पार्टी में लिया। इसके बाद बबीना विधानसभा क्षेत्र के समीकरण साधने के लिए पूर्व मंत्री हरगोविंद कुशवाहा को पार्टी में शामिल किया गया। इसके अलावा अभी कई बड़े नाम संभावितों की सूची में हैं, जो आने वाले समय में पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इससे अब यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि पार्टी दूसरे दलों से टूटकर आने वालों पर दांव लगा सकती है।

पिछले तीन चुनाव बीजेपी की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए बुंदेलखंड की चुनावी डगर आसान नजर नहीं आ रही है। यहां पर वर्ष 2002 के चुनाव में पार्टी ने 21 सीटों में से 6 सीटें जीती थीं और सात में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी। वहीं वर्ष 2007 में हुए चुनाव में तो बसपाई लहर के सामने भाजपा का सूपड़ा ही साफ हो गया था। 21 सीटों वाले बुंदेलखंड में भारतीय जनता पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। केवल दो सीटों पर भाजपाई उम्मीदवार दूसरे नंबर पर आए थे। इसके बाद सन् 2012 के चुनाव में कोंच और मौदहा सीटें परिसीमन में खत्म कर दी गईं। इस तरह से 2012 में बुंदेलखंड में 21 के बजाए 19 सीटों पर चुनाव हुए। इसमें पार्टी ने तीन सीटें जीतीं, लेकिन दो विधायकों (उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति) के लोकसभा में पहुंच जाने के कारण उपचुनाव हुए। इस उपचुनाव में चरखारी और हमीरपुर सीटें भारतीय जनता पार्टी के हाथ से खिसक गई। इस तरह से अभी बुंदेलखंड में भारतीय जनता पार्टी के पास 19 में से केवल एक झांसी सीट है। झांसी से रवि शर्मा भाजपा के विधायक हैं। अब देखना है कि वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी बुंदेलखंड में जीत के लिए क्या रणनीति बनाती है?

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