सर्दी-जुकाम के मरीज बढ़े-
केस-01 झुंझुनूं के ग्रामीण क्षेत्र के मरीज सुरेश ने करीब दस दिन पहले वायरल होने पर डॉक्टर को दिखाया। जिसे सर्दी-जुकाम की दवा दी गई। चार-पांच दिन में भी ठीक नहीं होने पर मरीज को फिर से एंटीबॉयोटिक्स लेनी पड़ी। केस-02 चिड़ावा के वार्ड 22 की सुशीला को सर्दी-जुकाम होने पर पांच दिन की दवा दी गई। मगर मरीज ठीक नहीं हुआ। करीब 13 दिन बाद भी मरीज सूखी खांसी से पीडि़त है। जो कि लगातार खांसी की दवा ले रही है।
केस-03 मलसीसर के पास के गांव के मनोज को कुछ दिन पहले सर्दी-जुकाम की शिकायत हुई। इसने डॉक्टर को दिखाया। करीब 10 दिन बाद भी खांसी की शिकायत हो रही है। मरीज का खांसी के साथ जी मचलाता है।
मरीजों में दिख रहे लक्षण-
-मरीज को एक-दो दिन तेज बुखार। -लगातार खांसी की शिकायत। -दस दिन बाद भी सूखी खांसी आना। -खांसी के साथ सिरदर्द, जी मचलाना। -मरीज की पसलियों में दर्द। -लगातार थकावट, भूख नहीं लगना। -शाम के समय ज्यादा थकावट। -गले में दर्द और बैचेनी। -रूक-रूककर नाक बंद होना। -कान में दर्द की शिकायत।
बचाव के लिए यह करें मरीज
-सर्दी से बचाव के प्रयास करें। -ठंडी और तली-भूनी चीजों का सेवन नहीं करें। -गर्म पानी का सेवन और गर्म पानी से ही स्नान करें। -भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाएं। -सर्दी-जुकाम के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाएं।
-संतुलित आहार का सेवन करें। -कम से कम आठ घंटे गहरी नींद लें। -सर्दी-जुकाम से पीडि़त से दूरी बनाए रखें। -गुनगुने पानी से नमक के गरारे करें। -आंख, नाक और मुंह को गंदे हाथों से नहीं छूएं।
-नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं।
इसलिए दिख रहा असर
-दिन-रात के तापमान में भारी अंतर। -रात को ज्यादा सर्दी और दिन में गर्मी बढऩा। -प्रदूषण में बेतहाशा बढ़ौतरी। -कोविड के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना। -खान-पान और जीवनशैली में बदलाव।
पिलानी के तापमान पर एक नजर
दिनांक अधिकतम न्यूनतम 1 दिसंबर 24 27.5 10.7 2 दिसंबर 24 28.4 10.6 3 दिसंबर 24 28.6 10.5 4 दिसंबर 24 27.9 11.2 5 दिसंबर 24 27.3 8.3 6 दिसंबर 24 26.7 9.3 7 दिसंबर 24 26.6 6.3
झुंझुनूं में डेंगू का दिखा असर-
बीमारी केस स्वाइन फ्लू 18 डेंगू 262 मलेरिया 06 चिकनगुनियां 07 स्क्रबटाइफस 16 इनका कहना है- खांसी-जुकाम के ऐसे बहुत ज्यादा मरीज आ रहे हैं, जो कि आठ-दस दिन बाद भी ठीक नहीं हो रहे। जिसकी वजह अधिकतम और न्यूनतम तापमान में भारी अंतर, प्रदूषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है। सर्दी के मौसम में सावधानी बरतनी जरूरी है-डॉ.सुमनलता कटेवा, पीएमओ, राजकीय उप जिला अस्पताल, चिड़ावा
इनका कहना है- बदलते मौसम के कारण साधारण सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हो रही है। बहुत से ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जो कि लगातार दवाइयां लेने के बावजूद ठीक नहीं हो रहे-डॉ.मनोज जानू, सर्जन, राजकीय उप जिला अस्पताल, चिड़ावा
इनका कहना है- सर्दी-जुकाम के बदलते रूप को देखते हुए गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दी-जुकाम होने पर तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। सूखी खांसी के केस भी खूब बढ़ रहे हैं-डॉ.सतीश भगासरा, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, चिड़ावा