पंडित दिनेश मिश्रा के मुताबिक सामान्य रूप से प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 अथवा 14 तिथियों का मान रहता है, परंतु कभी देव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा दो तिथियों का क्षय वश 13 रह जाती है। ऐसा इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण संयोग बन रहा है।
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा शनिवार को मनाई गई। रविवार से आषाढ़ माह शुरू होगा। आषाढ़ माह 21 जुलाई 2024 रविवार गुरु पूर्णिमा तक रहेगा। इस बार खास बात यह है कि आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष 15 की बजाय 13 ही दिन का रहेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक 23 जून से 5 जुलाई के बीच आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा और आषाढ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का क्षय होगा। यह महीना भगवान विष्णु को अति प्रिय है इसलिए आषाढ़ माह में श्री हरि की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।पंडित दिनेश मिश्रा के मुताबिक सामान्य रूप से प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 अथवा 14 तिथियों का मान रहता है, परंतु कभी देव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा दो तिथियों का क्षय वश 13 रह जाती है। ऐसा इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण संयोग बन रहा है। 31 साल पहले वर्ष 1993 में भी आषाढ माह के शुक्ल पक्ष में भी ऐसी स्थिति बनी थी। तब 13 दिन का शुक्ल पक्ष था। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि ऐसा पहला संयोग द्वापर युग में बना था जब कौरव-पांडव युद्ध हुआ। जब-जब ऐसा संयोग आता है देश-दुनिया में आपदा, युद्ध या अप्रत्याशित घटनाओं के होने की आशंका रहती है।
-9 जुलाई
-11 जुलाई
-12 जुलाई
-14 जुलाई
-15 जुलाई
व्रत त्योहार
25 जून: कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत
28 जून : कालाष्टमी व्रत
02 जुलाई : योगिनी एकादशी व्रत
03 जुलाई: प्रदोष व्रत
04 जुलाई: मासिक शिवरात्रि व्रत
05 जुलाई: आषाढ़ अमावस्या
06 जुलाई : गुप्त नवरात्रि प्रारंभ
07 जुलाई: जगन्नाथ रथ यात्रा
09 जुलाई: विनायक चतुर्थी व्रत
11 जुलाई: स्कंद षष्ठी व्रत
14 जुलाई: मासिक दुर्गाष्टमी, कर्क संक्रांति
15 जुलाई:भड़ल्या नवमी का अबूझ मुहूर्त
17 जुलाई : देवशयनी एकादशी
19 जुलाई: प्रदोष व्रत
21 जुलाई: गुरु पूर्णिमा