
Gen Z At Private Jobs: भारत में प्राइवेट नौकरी को लेकर युवाओं की बीच एक सोच बन रही है। 47 प्रतिशत Gen Z युवा दो साल के बाद नौकरी छोड़ देते हैं, जबकि उतने ही लोग (46 प्रतिशत) नौकरी के लिए वर्क लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता देते हैं। ये कहना है ‘Gen Z at Workplace’ नाम की एक रिपोर्ट का। ये रिपोर्ट 5350 से अधिक जनरेशन जेड और 500 एचआर प्रोफेशनल्स युवाओं के सर्वे से तैयार की गई है।
इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त अलग अलग कारक जैसे कि जनरेशन जेड के नौकरी बदलने की वजहें, जॉब मार्केट में एंट्री के समय उनकी सबसे ज्यादा चिंताएं, मेंटल हेल्थ को लेकर उनकी अपेक्षाएं और वर्किंग स्टाइल को लेकर चिंता आदि का अध्ययन किया गया।
Gen Z at Workplace नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया कि 45 प्रतिशत जनरेशन जेड के युवा दो साल में नौकरी छोड़ने को तैयार रहते हैं। वहीं 51 प्रतिशत को अपनी नौकरी खोने का डर रहता है। यह चिंता उनके करियर की संभावनाओं तक फैली हुई है क्योंकि 40 प्रतिसथ को नौकरी पाने के बाद भी अपनी पसंदीदा फील्ड में पोस्ट बचाए रखने की चिंता रहती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सर्वे में शामिल 77 प्रतिशत युवाओं ने कॉमर्शियल फील्ड में ब्रांड और रोल की प्राथमिकता दी। इन 77 प्रतिशत युवाओं में 43 प्रतिशत विशेष रूप से एक्सपीरियंस और ग्रोथ के मौके की तलाश में रहते हैं। जेन जेड के 72 प्रतिशत लोग सैलरी के मुकाबले जॉब सेटिस्फेक्शन को ज्यादा जरूरी मानते हैं। वहीं जेन जेड के 78 प्रतिशत लोग नौकरी बदलना चाहते हैं क्योंकि वे करियर में ग्रोथ चाहते हैं। HR प्रोफेशनल्स के 71 प्रतिशत युवा मानते हैं कि नौकरी बदलने के समय जरूरी है वेतन। वहीं नई पीढ़ी में 25 फीसदी नौकरी बदलते समय मोटिवेशन से ज्यादा सैलरी को महत्व देते हैं।
इंटरनेट से मिली जानकारी के अनुसार, जनरेशन Z वो होते हैं जो 1995 के दशक के मध्य से 2010 के मध्य के बीच पैदा हुए लोग हैं। ऐसे लोग खुद में ही रहना पसंद करते हैं। साथ ही जनरेशन Z इंटरनेट की दुनिया से काफी परिचित होते हैं और उन्हें ‘डिजिटल नेटिव’ कहा जाता है।
Updated on:
16 Sept 2024 04:31 pm
Published on:
16 Sept 2024 04:29 pm
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