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IIT बॉम्बे ने कोविड -19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए किया बड़ा परिक्षण,इस तरह से मिलेगी ऑक्सीजन

IIT Bombay:इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे ने इस कोविड -19 संकट में अस्पताल में उपयोग में लाई जाने वाली ऑक्सीजन समस्या को दूर करने के लिए एक समाधान का प्रस्ताव रखा है। आईआईटी बॉम्बे ने दिखाया है कि नाइट्रोजन को ऑक्सीजन में परिवर्तित करके किस तरह से ऑक्सीजन के संकट को हल किया जा सकता है।

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IIT Bombay

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IIT Bombay: भारत में तेजी से फैल रही महामारी के चलते संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। और इस बीमारी के बीच लोगों की सासें भी सिर्फ ऑक्सीजन के बल पर टिकी हुई है। और अब तेजी से अस्पतालों में खत्म हो रही ऑक्सीजन की कमी से लोगों की सासें भी टूटती जा रही है इसी समस्या को देखते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे ने एक बड़ी सफळता हासिल की है। इस टीम ने ऑक्सीजन समस्या से छुटकारा पाने का समाधान खोज निकाला है।

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कोविड -19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए IIT बॉम्बे ने ऑक्सीजन समस्या को दूर करने के लिए एक सरल प्रौद्योगिकी हैक का परीक्षण किया है। जिसकी सूचना उन्होंने महाराष्ट्र के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दी है जिसमें कहा गया है "आईआईटी बॉम्बे ने दिखाया है कि किस तरह से नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में परिवर्तित करके ऑक्सीजन के संकट को हल किया जा सकता है। संस्थान पैन इंडिया को अपनाने में मदद करने के लिए तैयार है।"

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जानकारी के अनुसार, "ऑक्सीजन गैस की कमी को दूर करने के लिए IIT बॉम्बे द्वारा किया गया यह पहला परीक्षण काफी सफल रहा है जिसके आशाजनक परिणाम मिले हैं।" IIT बॉम्बे की इस नई पहल से अब ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे मरीजों को काफी मदद मिल सकती है।

आईआईटी बॉम्बे के रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मिलिंद अत्रे डीन कहते हैं, "नाइट्रोजन को मौजूदा नाइट्रोजन प्लांट सेटअप को फाइन ट्यून करके ऑक्सीजन यूनिट में बदला जा सकता है और कार्बन से आणविक सिस को ज़ोलाइट में बदल सकते हैं। इस तरह के कई नाइट्रोजन प्लांट भारत भर में उपलब्ध हैं। इसलिए देश के विभिन्न उद्योग इसी तरह से नाइट्रोजन को ऑक्सीजन में परिवर्तित करके स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान हमारी मदद कर सकते हैं। ***** IIT बॉम्बे और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पैन्टेक इंजीनियरों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।