11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जल्दी ही खत्म होने जा रही हैं हजारों नौकरियां, सिर्फ एक कारण के चलते होगी कटौती

लोगों ने कहा कि नौकरियां जाएंगी तो उससे बेहतर अवसर भी सामने आएंगे। तीन देशों में माना गया कि ऑटोमैशन से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

less than 1 minute read
Google source verification

जयपुर

image

Sunil Sharma

Nov 05, 2018

jobs,jobs in india,robots,Govt Jobs,Banking Jobs,Jobs abroad,private jobs,finance jobs,sarkari naurki,jobs in banking,robots jobs future,

robots jobs future, robots jobs, robots, jobs in india, govt jobs, private jobs, banking jobs, finance jobs, jobs in banking, sarkari naurki, jobs abroad, jobs,

दुनिया भर में रोबोट्स के काम करने से लेकर इंसानों की नौकरी खतरे में पडऩे का डर बढ़ गया है। एक अंतराराष्ट्रीय सर्वे में कई देशों के लोगों ने माना कि अगले पचास साल में रोबोट्स वे सभी काम करने लगेंगे जो अभी इंसान कर रहे हैं। इंसान को अपनी योग्यता के अनुरूप काम ढूंढऩे के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। पीयू रिसर्च सेंटर ने यूनान, जापान, कनाडा, अर्जेंटीना, पौलेंड, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इटली व हंगरी में यह सर्वे किया था।

सर्वे में शामिल दो तिहाई लोगों ने माना कि पचास सालों में रोबोट्स इंसान वाले लगभग सभी काम करने लगेंगे। यूनान में 52 फीसदी ने कहा कि यह होकर रहेगा। हालांकि लोगों ने कहा कि नौकरियां जाएंगी तो उससे बेहतर अवसर भी सामने आएंगे। तीन देशों में माना गया कि ऑटोमैशन से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जापान (74 फीसदी), पौलेंड व हंगरी (52-52 फीसदी) में यह राय सामने आई।

इंसानों से कम पैसा देना पडता है
चीन की ई-कॉमर्स कंपनी जेडी डॉट कॉम ने दो लाख बक्से रोज पैकिंग वाली जगह पर केवल चार लोगों को काम पर रखा है क्योंकि बाकी का काम रोबोट करते हैं। अमरीकी स्टडी के मुताबिक वहां रोबोट से प्रति घंटे काम करने की लागत मात्र चार डॉलर प्रति घंटे आती है जबकि इंसान के लिए उन्हें 36 डॉलर प्रति घंटे देने पड़ते हैं।

नई कंपनियों में नहीं जाएगी नौकरी
तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। अमरीकी अर्थशास्त्री जेम्स बेसेन का कहना है कि यह सर्वव्यापी सिद्दांत है जिसमें नई शुरू होने वाली कंपनी या उद्योग अपने कामगारों को निकालने का जोखिम नहीं लेते हैं। शुरुआत में उनके उत्पाद भी खूब बिकते हैं इसलिए वे छंटनी के पक्ष में नहीं होते हैं।