किसकी कितनी ट्राफियां बब्बर शेर-3 ट्राफियां पैंथर—–3 ट्राफियां भालू —-1 ट्राफी मगरमच्छ–1 ट्राफी घडिय़ाल –1 ट्राफी लोमड़ी –1 ट्राफी नेवले –3 ट्राफियां शेर के शावक – 2
तोता—-1 ट्राफी अस्सी के दशक तक नियमित रासायनिक लेप चार साल पहले उम्मेद उद्यान में संचालित जोधपुर के पुराने जंतुआलय परिसर के कार्यालय में रखी वन्यजीव ट्राफियों को लंबे अर्से तक सुरक्षित रखने के लिए अस्सी के दशक में मैसूर की एक निजी कंपनी को रासायनिक लेप के लिए बुलाया जाता था। उसके बाद विभाग के पास बजट अभाव में ट्राफियों का रासायनिक लेप नहीं हो पाया। नतीजन सभी वन्यजीव ट्राफियों को स्टोर कक्ष में रख दिया गया। उसके बाद किसी भी अधिकारी ने सुध तक नहीं तक ली है।
पांच साल पहले भेजा था प्रस्ताव वनविभाग के पास वन्यजीव ट्राफियां प्रदर्शित करने के लिए लंबे अर्से से एक उचित भवन का अभाव होने के कारण ं दशकों से धूल फांक रही 17 वन्यजीवों की ट्राफियों को माचिया जैविक उद्यान के नेचर इन्टरप्रीटिशन सेन्टर में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया था। माचिया जैविक उद्यान बनने के बाद आज तक किसी भी अधिकारी ने बेशकीमती ट्राफियों की सार संभाल तक करना उचित नहीं समझा है। वन्यजीव ट्राफियों को आकर्षक तरीके से प्रदर्शित करने के लिए आरएसआरडीसी को 50 लाख का प्रस्ताव बनाकर भी भेजा गया लेकिन यह प्रस्ताव भी फाइलों में ही दफन हो गया।
मुझे इसकी जानकारी नहीं वन्यजीव ट्राफियों के रखरखाव और उन्हें प्रदर्शित करने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। वन्यजीव ट्राफियों को माचिया जैविक उद्यान में प्रदशित करने की योजना की फाइल भी सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी के ध्यान में है। उनसे पता करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा।
महेश चौधरी, उपवन संरक्षक वन्यजीव जोधपुर