जोधपुर में आरती- अजान साथ-साथ कौमी एकता की अनूठी मिसाल
सूर्य नगरी के शिवालय- 5

जोधपुर. परकोटे के अंदरूनी क्षेत्र खांडा फलसा में स्थित प्राचीन पीपलेश्वर महादेव मंदिर शहर ही नहीं समूचे विश्व के लिए कौमी एकता की अनूठी मिसाल है। करीब 500 साल प्राचीन शिवालय के ठीक सामने 373 साल प्राचीन शाही इक मिनार मस्जिद भी है। यहां सदियों से आरती और अजान का साथ साथ गूंजना साम्प्रदायिक सद्भाव और जोधपुर की गंगा यमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल माना जाता है। पीपल के पेड़ के नीचे शिवालय होने के कारण ही मंदिर का नामकरण पीपलेश्वर किया गया। श्रावण मास में नित्याभिषेक, श्रावण सोमवार को रुद्राभिषेक और फूल मंडली आकर्षक होती है। मंदिर में शिव परिवार और बालाजी के विग्रह भी है। दो दशक पूर्व मंदिर जीर्णोद्धार के समय छीतर पत्थरों से मंदिर शिखर निर्माण किया गया है। मंदिर के ठीक पीछे स्थित प्राचीन निम्बला कुएं के बारे में इतिहासविदों का कहना है राव जोधा के शासनकाल में श्रीमाली नीम्बा ने कुएं का निर्माण करवाया था। मंदिर से जुड़े नियमित श्रद्धालुओ ने बताया कि निम्बला कुएं के संदर्भ में आज भी एक कहावत जोधपुर में प्रचलित है कि 'तापी बावड़ी अर नींबलो कुओं नहीं देखियौ वो जीवतौ ई मुवो अर्थात जिस व्यक्ति ने जोधपुर नगर की तापी बावड़ी और नीम्बले कुएं को नहीं देखा तो वह जीते जी मृत समान है।
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