रामलीला के प्रथम दृश्य में रावण का दरबार दिखाया गया, जिसमें रावण को उसके मंत्रियों द्वारा युद्ध में कई वीरों के मारे जाने का समाचार दिया। इसके बाद रावण ने गुस्सा दिखाते हुए पुत्र मेघनाथ को युद्ध में जाने का आदेश दिया। मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच हुए युद्ध को बड़े ही कलात्मक तरीके से पर्दे के समक्ष पेश किया गया।
उसके पश्चात लक्ष्मण को बाण लगने से उन्हें मूर्छा आ जाती है। इसके बाद राम को विलाप करते दिखाया गया, जिसे देखकर दर्शकों की आंखों में भी आंसू आ गए। राम की करुण पुकार पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जाते हैं। इस दौरान वैद्य सुसेण भी लंका से आते हैं। हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाने का दृश्य बड़े ही कलात्मक ढंग प्रस्तुत किया गया। इस दृश्य को देखने आसोप कस्बे व आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण उमड़ पड़े।
संजीवनी बूटी ला रहे हनुमान को बीच रास्ते में भरत द्वारा बाण मारने का दृश्य भी भावुक रहा। उसके पश्चात हनुमान को हाथ में पर्वत लिए हुए 300 फुट दूर से और 100 फीट ऊपर से एक वायर पर इस तरीके से उड़ते हुए दिखाया गया जिसे देखकर लोगों की सांसें थम गई और आश्चर्य से दांतों तले अंगुली दबा ली।
इस दौरान राम के विलाप करने और उनके द्वारा गाए गए भजन “आ अब लौट के आजा हनुमान” को सुनकर दर्शक इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखें नम हो गई। इस दौरान पांडाल में मौजूद हजारों दर्शकों ने तालियों की करतल ध्वनि के साथ में हनुमान जी के आकाश में उड़ते हुए इस नजारे की सराहना की। हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को पिलाने से लक्ष्मण का पुनर्जीवित होना का दृश्य भी जीवंत रहा।
रामलीला अभिनय मंडल के संरक्षक अशोक जैन व अध्यक्ष मंछाराम ने बताया कि दृश्य व प्रसंगों को पूरा बताने के लिए रामलीला के मंचन को शुक्रवार तक बढ़ाया गया है । इस पर उपस्थित दर्शकों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।
मंचन के सर्वप्रथम गणपति वंदना के पश्चात कार्यक्रम को शुरू किया गया। गणपति वंदना के समय खेड़ापा रामधाम के उत्तराधिकारी संत गोविंदराम शास्त्री भी उपस्थित थे जिन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि रामलीला के दृश्य को देखने से नई पीढ़ी में एक आदर्श का संचार होता है और इस कला को हमेशा जीवित रखा जाना चाहिए।