scriptकोरोना के कहर के बीच अब बढ़ा टिड्डी दल के हमले का खतरा | After corona, locust threat in India | Patrika News

कोरोना के कहर के बीच अब बढ़ा टिड्डी दल के हमले का खतरा

locationजोधपुरPublished: Apr 07, 2020 11:20:11 am

बारिश से ईरान के 900 किमी तट पर टिड्डी ने दिए अंडे, महीने भर बाद पाकिस्तान से होते हुए भारत में टिड्डी दल के हमले की आशंका।

कोरोना के बाद अब बढ़ा टिड्डी का खतरा

कोरोना के बाद अब बढ़ा टिड्डी का खतरा

जोधपुर. मार्च महीने में भारत में टिड्डी पूरी तरीके से साफ हो गई थी लेकिन हाल ही में पाकिस्तान के साथ लगते राजस्थान व पंजाब बॉर्डर पर टिड्डी की कुछ हलचल देखी गई है। उधर मार्च के आखिरी दिनों में दक्षिणी ईरान और यमन में हुई अच्छी बरसात से वहां टिड्डी दल ने 900 किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर अण्डे दिए हैं जो एक से डेढ़ महीने में हॉपर्स व फिर दल बनकर हमला करेंगे। टिड्डी की समर ब्रीडिंग भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर होती है। ऐसे में मई की शुरुआत में टिड्डी का आगमन हो सकता है।


भारत ने टिड्डी से निपटने के लिए इस बार स्पे्र माउंटेड पांच हेलीकॉप्टर तैयार किए हैं। इनके किट के लिए ब्रिटेन की कम्पनी को ऑर्डर दिया जा चुका है। पिछले साल जहां सर्वाधिक टिड्डी प्रकोप था, वहां किसानों व ग्रामीणों की फौज खड़ी करने के लिए टिड्डी चेतावनी संगठन स्वयं प्रशिक्षण देगा। इसकी शुरुआत मई महीने में हो जाएगी। प्रशिक्षित किसान स्वयं टिड्डी मारकर अपने खेत की रक्षा करेंगे।

अफ्रीका में बुरी स्थिति, खाद्य संकट पैदा हुआ

पूर्वी अफ्रीका के केन्या, ईथोपिया, सूड़ान और युगाड़ा में भयंकर टिड्डी हो गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ओर से जारी ताजा बुलेटिन में वह पूरा इलाका रेड नजर आ रहा है। वहां खाद्य संकट पैदा हो रहा है। दूसरी तरफ लाल सागर के दोनों और बसे देशों में पिछले साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में टिड्डी दल मौजूद है। इसमें सऊदी अरब, ईरान, ईरान, यमन व ओमान शामिल है। यहां भी टिड्डी अंडे दे रही है।

मानसूनी हवा के साथ उडकऱ आती है टिड्डी
भारत में मानसून का समय शुरू होने पर हवा पश्चिमी व दक्षिणी-पश्चिमी रहती है, जिसके कारण टिड्डी अफ्रीका व खाड़ी देशों से उडकऱ यहां आ जाती है। पिछले साल 21 मई को जैसलमेर में टिड्डी रिपोर्ट हुई थी। गत वर्ष 26 साल बाद दक्षिण एशिया में टिड्डी का बड़ा हमला था।

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