भूदान ग्रामदान आंदोलन से जुड़ी समाजसेविका त्यागी ने कहा,महात्मा गांधी ने कहा था-मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। उनकी इस भावना के अनुरूप लोगों ने खुद को पर सेवा और परोपकार के कार्य में लगा दिया। बापू के बाद विनोबा भावे वो शख्सियत थे, जिन्होंने सर्वोदय और सेवा कार्य को आगे बढ़ाया, भू दान ग्राम दान आंदोलन चलाया। उस जमाने में जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन चलाया। आचार्य कृपलानी ने सेवा भावना को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, मैंबापू की अनुगामी, विनोबा भावे, जेपी और कृपलानी की साथी रही और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। इसीलिए मेरा जीवन मंत्र है-अपने लिए जीए तो क्या जीए, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए। ग्रामीण विकास संस्थान संस्था के माध्यम से समाजसेवा में सक्रिय त्यागी ने कहा कि वे आगे भी महिलाओं को स्वरोजगार, शिक्षित और उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में ही कार्य करना चाहती हैं।
गरीब बालिकाओं को हुनर सिखाने और उन्हें शिक्षित करवाने में अग्रणी त्यागी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, मैंने सेवा के लिए गरीबों की सीधे तौर पर केवल आर्थिक मदद करने के बजाय उन्हें एकल और समूह में स्वावलंबी बनाने का तरीका अपनाया,मसलन महिलाओं को स्वरोजगार का रास्ता अपनाया। इसके अच्छे परिणाम मिले। बुजुर्गों को गाय उपलब्ध करवाना, दूध बेचने के काम पर लगाना या ऋण दिलवा कर कोई और व्यवसाय शुरू करवाना ऐसे काम हैं, जिनसे व्यक्ति एक बार जुड़ता है तो वह फिर अपने आप काम करने लगता है। उसके बाद उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती और वह उन्नति के मार्ग पर बढ़ता है तो उसे पीछे मुड़ कर देखने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
शशि त्यागी वनवासी सेवा संस्था से भी जुृड़ी हुई हैं। शिक्षाविद,स्वास्थ्य,बालिका शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण, स्वरोजगार और स्वावलंबन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वे राजस्थान समग्र सेवा संघ की अध्यक्ष हैं। वे जोधपुर में सन 1983 से ग्रामीण विकास संस्थान संस्था के माध्यम से बहु सेवा कार्य कर रही हैं। उन्हें अपने पति स्व. लक्ष्मीचंद त्यागी से सेवा कार्य की प्रेरणा मिली।