जोधपुर

Jaswant Sagar Dam: जसवंत सागर बांध एक बार फिर छलकने को आतुर, पानी की आवक काफी तेज

Jaswant Sagar Dam: मारवाड़ रियासत कालीन जसवंत सागर बांध एक बार फिर छलकने को तैयार है। बरसात के शुरुआती दौर में ही 7 फीट 8 इंच पानी की आवक हो चुकी है। ऐसे में हर कोई चादर चलने का इंतजार कर रहा है।

2 min read
Jul 18, 2025
जसवंत सागर बांध फिर छलकने के तैयार (फोटो-पत्रिका)

Jaswant Sagar Dam: जोधपुर। जिले का सबसे बड़ा जसवंत सागर बांध एक बार फिर किसानों की उम्मीदों का केंद्र बन गया है। बीते वर्ष यह बांध लबालब भर गया था और चादर कई दिनों तक बहती रही थी। इस वर्ष भी बारिश के शुरुआती दौर में ही बांध में 7 फीट 8 इंच तक पानी की आवक हो चुकी है।

किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चादर फिर बहेगी और उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल पाएगा। इधर, जसवंत सागर में लगातार हो रही पानी की आवक को देखते हुए सिंचाई विभाग भी तैयारियों में जुटा हुआ है। अधिकारियों की ओर से बांध की निगरानी लगातार की जा रही है, ताकि चादर बहने की स्थिति में पानी का समुचित नियंत्रण और वितरण सुनिश्चित किया जा सके।

ये भी पढ़ें

Rajasthan Rains: 20 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी, 9 जिलों में ‘रेड अलर्ट’, 3 घंटे के अंदर वर्षा का अनुमान

अरावली की गोद से आता है पानी

जसवंत सागर बांध में पानी की मुख्य आवक अरावली पर्वतमाला के नागपहाड़ क्षेत्र से होती है। यह पानी पुष्कर, नांद, गोविंदगढ़, रियां, आलनियावास, लांबिया, कालू, बडूंदा, और निंबोल होते हुए यहां पहुंचता है। इस मार्ग में लीलड़ी नदी और कई स्थानीय नदियों व बालों का संगम होता है, जो बिराटिया और गिरी बांधों को भी भरता है।

इस जगह से जसवंत सागर में गिरता है पानी

बिराटिया नदी इस पूरी प्रणाली में सबसे प्रमुख है, जिसकी चादर का पानी रामेदव मेला स्थल होते हुए धूलकोट और हाजीवास गांवों से बहकर लीलड़ी में मिल जाता है। ये तीनों धाराएं एक साथ होकर आसरलाई, पीपलियां, बांजाकुड़ी और बिरोल गांवों से गुजरते हुए निंबोल में संगम बनाती हैं और यहीं से जसवंत सागर में गिरती हैं।

मारवाड़ रियासत कालीन है जसवंत सागर बांध

जसवंत सागर बांध का निर्माण वर्ष 1889 में मारवाड़ रियासत के महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय की ओर से करवाया गया था। यह लूणी नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है। इसकी भराव क्षमता 1865 मिलियन घनफुट है, जबकि इसका केचमेंट एरिया करीब 1300 वर्ग मील में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में 34 एनीकट, 13 खड़ीन और पंचायत समिति की निगरानी में 31 अन्य जलसंरचना इकाइयां मौजूद हैं। जसवंत सागर से 13 गांवों के लगभग 4574 किसानों की 28,692.70 बीघा भूमिसिंचित होती है।

कब-कब लबालब हुआ जसवंत सागर बांध

1979: पहली बार चादर चली और एक पाल टूट गई।

1983: चार फीट चादर चली।

1995: बांध फिर से ओवरफ्लो हुआ।

1997: 17.20 फीट पानी आया।

1999: रिकॉर्ड 20.45 फीट पानी आया।

2000: ढाई फीट की चादर चली।

2007: चादर चली और एक पाल का हिस्सा फिर टूट गया।

2017 और 2024 में भी चादर बह चुकी है।

ये भी पढ़ें

Bisalpur Dam: पहली बार इस रेकॉर्ड को छू सकता है बीसलपुर बांध, जानिए कब शुरू होती है गेट खोलने की प्रकिया

Updated on:
18 Jul 2025 09:14 pm
Published on:
18 Jul 2025 07:28 pm
Also Read
View All

अगली खबर