
भोमाराम। फाइल फोटो- पत्रिका
जोधपुर। कभी-कभी एक छोटा सा जीवन पूरे समाज को बड़ा संदेश दे जाता है। एम्स जोधपुर में सोमवार को ऐसा ही एक मार्मिक और प्रेरक दृश्य सामने आया, जब महज पांच साल के ब्रेन डेड बच्चे के माता-पिता ने अपने कलेजे के टुकड़े को खोने के असहनीय दुख के बीच ऐसा फैसला लिया, जिसने दो लोगों को नई जिंदगी की उम्मीद दे दी।
बच्चे की दोनों किडनियां एम्स जोधपुर में ही एक मरीज को प्रत्यारोपित की गईं, जबकि लीवर को विशेष फ्लाइट के जरिए इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलियरी साइंसेज, नई दिल्ली भेजा गया। बालोतरा जिले के गिड़ा क्षेत्र स्थित नाइयों की ढाणी निवासी भैराराम का पांच वर्षीय पुत्र भोमाराम 15 दिसंबर को बुखार और दौरे पड़ने की शिकायत के बाद एम्स जोधपुर लाया गया था।
अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसकी हालत बेहद गंभीर हो चुकी थी। डॉक्टरों के मुताबिक, उस समय तक मस्तिष्क की गतिविधियां लगभग बंद हो चुकी थीं, फिर भी चिकित्सकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी। एक सप्ताह तक डॉक्टरों की टीम ने हरसंभव प्रयास किए कि ब्रेन की गतिविधियां लौट सकें, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।
लगातार किए गए परीक्षणों में मस्तिष्क में गंभीर सूजन, सेरेब्रल एडिमा और ब्रेनस्टेम रिफ्लेक्स की अनुपस्थिति सामने आई। संक्रमण के कारण एन्सेफलाइटिस होने की आशंका जताई गई, जिसमें ब्रेन डैमेज अक्सर अपरिवर्तनीय हो जाता है। सभी चिकित्सा मानकों के अनुसार जब ब्रेन के सभी फंक्शन बंद पाए गए, तब बच्चे को आधिकारिक तौर पर ब्रेन डेड घोषित किया गया।
यह वीडियो भी देखें
यहीं से इस कहानी की सबसे मानवीय कड़ी शुरू होती है। एम्स के डॉक्टरों ने परिजनों को स्थिति की संवेदनशीलता और अंगदान की संभावना के बारे में समझाया। भारी मन, नम आंखों और टूटे दिल के बावजूद माता-पिता ने यह सोचकर अंगदान की सहमति दी कि उनका बच्चा भले ही इस दुनिया में न रहे, लेकिन उसके अंगों से किसी और की जिंदगी चलती रहे। उनका यह निर्णय अस्पताल के हर कोने में भावुक सन्नाटा और सम्मान दोनों छोड़ गया।
Published on:
22 Dec 2025 07:04 pm
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
