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भामाशाह मिले तो सुधरे बिलाड़ा रोडवेज बस स्टैण्ड की काया

locationजोधपुरPublished: Oct 21, 2020 12:42:44 pm

Submitted by:

pawan pareek

बिलाड़ा (जोधपुर). राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 112 पर स्थित बिलाड़ा कस्बे का मुख्य स्टैण्ड जर्जर अवस्था में होने से कार्मिकों और यात्रियों को परेशानी हो रही है। रोडवेज बस स्टैण्ड पर प्रतिदिन सौ से अधिक बसों का आवागमन होता है। इस बस स्टैण्ड से अच्छा राजस्व प्राप्त होने के बावजूद विभाग यात्रियों की सुविधा को लेकर भामाशाहों की राह तक रहा है।

 भामाशाह मिले तो सुधरे बिलाड़ा रोडवेज बस स्टैण्ड की काया

भामाशाह मिले तो सुधरे बिलाड़ा रोडवेज बस स्टैण्ड की काया

बिलाड़ा (जोधपुर). राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 112 पर स्थित बिलाड़ा कस्बे का मुख्य स्टैण्ड जर्जर अवस्था में होने से कार्मिकों और यात्रियों को परेशानी हो रही है। रोडवेज बस स्टैण्ड पर प्रतिदिन सौ से अधिक बसों का आवागमन होता है। इस बस स्टैण्ड से अच्छा राजस्व प्राप्त होने के बावजूद विभाग यात्रियों की सुविधा को लेकर भामाशाहों की राह तक रहा है।
बीस वर्ष पहले जिस स्थिति में यह बस स्टैण्ड बना था। वही हालात आज भी हैं। तीन दशक पहले जितनी आबादी एवं बसों का आवागमन नहीं था, उससे कई गुणा आबादी और आवागमन वर्तमान में बढ़ चुका है। जिले का सबसे बड़ा सम्पन्न कस्बा होने के कारण यहां बड़ी संख्या में यात्रियों बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, ब्यावर, अजमेर, जयपुर, दिल्ली के साथ उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से आना-जाना लगा रहता है। इस कारण बस स्टैण्ड पर हर समय यात्रियों की भीड़ लगी रहती है।
बस स्टैण्ड में ये हैं हालात

विद्युत फिटिंग ने अपना स्थान छोड़ दिया है। सारे पंखे खुल चुके हैं इस बस स्टैण्ड पर प्रात: पांच बजे से जोधपुर की ओर से तथा छह बजे से अजमेर की ओर से रोडवेज बसें आनी शुरू हो जाती है तथा हर 10-15 मिनट में बस स्टैण्ड पर दोनों ओर से बसें आती-जाती रहती है। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहता है।

दोनों साइड का दे रखा है ठेका

जोधपुर व जयपुर साइड जाने वाली बसों में बुकिंग में रोडवेज कर्मचारी नहीं लगे हुए हैं। दोनों साइड ठेके पर दी गई है। वह बसों में जाकर टिकट बनाते हैं। कोरोना से पहले यह बस स्टैण्ड प्रतिमाह लगभग दस लाख रुपए की आमदनी रोडवेज को दे रहा था।

असुविधाओं की कमी नहीं
मुख्य बस स्टैण्ड के प्रवेश एवं निकासी के तीन द्वार बने हुए हैं लेकिन एक भी द्वार पर न तो गेट लगा है और न ही काउ केचर। इसके चलते आवारा पशु बस स्टैण्ड के अन्दर विचरण करते रहते हैं जहां दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सार्वजनिक सुविधाओं का भी अभाव है, बुकिंग भवन दशकों पुराना होने से जगह-जगह दरारें बनने लगी है, वहीं कई स्थानों से छज्जे क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इनके नीचे खड़े होने से भी डर लगने लगा है।

इनका कहना है

रोडवेज में अभी बजट नहीं है। कोई भामाशाह मिले तो इस बस स्टैण्ड का कायाकल्प हो सकता है। वैसे हमने इसकी जर्जर स्थिति के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
-बीआर बेड़ा, मुख्य प्रबंधक, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम,जोधपुर
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