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बीआरटीएस बसों के नाम पर झोंकी जा रही जोधपुर की जनता की आंखों में धूल, सामने आई चौंकाने वाली है यह सच्चाई!

ठेका कम्पनी निगम से प्रतिमाह पैसा तो ले रही है, लेकिन गाडि़यों के संचालन में मनमानी चला रही है।

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पूर्णिमा बोहरा/जोधपुर.

शहर के बाशिंदों को त्वरित व सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन सुविधा देने के लिए सरकार ने बीआरटीएस बसों की व्यवस्था की और इसका संचालन नगर निगम को दे दिया। लंबे समय तक आरटीओ में पड़ी ये बसें निगम ने जनवरी २०१६ में ४.५ करोड़ के वीजीएफ राशि के साथ ठेके पर एक निजी ट्रेवल्स को दे दीं और शहर के ६ रूट पर इन बसों का संचालन शुरू किया गया। हकीकत तो यह है कि पिछले ६ महीने से एक रूट पर बस संचालित ही नहीं हो रही और तो और ठेका कम्पनी ने अधिकतर बसें डिपो व अन्य स्थानों पर खड़ी कर रखी हैं। एेसे में इन बसों से सफर करने वालों को अरसे तक खड़े रह कर इंतजार करना पड़ रहा है। ठेका कम्पनी के मालिक से बात करने पर सभी बसें ऑन रूट बताई गईं व दो बसें डिपो में होने की बात कही। जबकि निगम कर्मचारी ने स्वयं निरीक्षण कर मौके पर १२ गाडि़यां पाए जाने की जानकारी आयुक्त को दी।

ठेका कम्पनी निगम से प्रतिमाह पैसा तो ले रही है, लेकिन गाडि़यों के संचालन में मनमानी चला रही है। चौंकानें वाली बात तो यह है कि इन गाडि़यों पर पैसा खर्च कर निगम ने जीपीएस व्यवस्था शुरू की, ताकि गाडि़यों पर नजर रखी जा सके, लेकिन नजर रखने की किसी को फुर्सत नहीं। जिस कर्मचारी को इसका दायित्व सौंपा गया, उसका कहना है कि वह और भी कई कार्य सम्भालता है। गाडि़यों पर वह नजर कैसे रखे? इसके लिए अलग कर्मचारी नियुक्त होना चाहिए। निगम में चल रही पोलपट्टी का ठेका कम्पनी फायदा उठा रही है।

खड़ीं थी बसें

झालामंड डिपो पर सर्वे किया तब वहां १२ बसें खड़ी थीं। इसकी रिपोर्ट आयुक्त को दी है। यह तो गलत हंै कि सभी बसें ऑन रोड नहीं हैं। कम्पनी को निगम से प्रतिमाह १० लाख रुपए का भुगतान होता है। बसों पर जीपीएस सिस्टम तो है, लेकिन कर्मचारी मॉनिटरिंग के लिए नहीं हैं। पिछले ६ महीने से मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही।


- नरेंद्र सिंघवी, प्रभारी, बस सर्विस, नगर निगम, जोधपुर


सभी रूट पर चल रहीं बसें

३५ बसें हैं। सभी रूट पर चल रही हैं। ४ बसें वर्कशॉप पर हैं। सभी रूट पर गाडि़यां चल रही हैं। मैं तो जोधपुर स्मार्ट सिटी बने, इसलिए गाडि़यां चला रहा हूं। जबकि यहां अहमदाबाद की बड़ी कम्पनी ने १५ व ३१ करोड़ मांगे थे। मेरा रोज का खर्च २.५० लाख है। मुझे वापस १.५० लाख भी नहीं मिल रहे। एक रूट इसलिए बंद किया कि उसकी गाडि़यां अन्य रूट पर लगाई गई हैं। बोर्ड मीटिंग में परमिट संशोधन किया था। जीपीएस सिस्टम है जिसकी निगम मॉनिटङ्क्षरंग रखता है।


-प्रवीण पंवार, लक्ष्मी ट्रैवल्स, जोधपुर

मुझे भी शिकायत मिली है


जीपीएस की जो रिकॉर्डिग होती है, वह बाद में चेक की जा सकती है। मुझे भी शिकायत मिली है। मैंने रिकॉर्डिंग चेक करने के आदेश दिए हैं। अगर बसें डिपो में खड़ी हैं तो गलत है। बसें खराब हैं तो कम्पनी की ओर से अपनी ओर से नई बसें लगाने का नियम है। इसके लिए पैनल्टी वसूल की जाएगी।

-घनश्याम ओझा, महापौर, नगर निगम जोधपुर