न्यायाधीश डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकल पीठ में गहलोत की ओर से अधिवक्ता विकास बालिया ने याचिका पर बहस करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के घर और व्यावसायिक परिसरों पर 22 जुलाई को ईडी ने छापेमारी की थी, जिसके बाद जारी सम्मन की पालना में याची ईडी के समक्ष पेश हो चुका है। उन्होंने कहा कि मांगे जाने के बावजूद ईडी ने ईसीआईआर की सूचना नहीं दी है।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सीमा शुल्क अधिनियम के तहत एक आपराधिक शिकायत 17 जुलाई, 2020 को न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुंद्रा (कच्छ) के समक्ष दायर की गई थी, जिसके क्रम में ईडी ने कार्यवाही शुरू की। उन्होंने कहा कि अभी केवल सम्मन जारी किया गया है और याचिकाकर्ता अभी व्यथित व्यक्ति नहीं है, इसलिए स्थगन याचिका अपरिपक्व है। उन्होंने कहा कि पोटेशियम क्लोराइड निर्यात के लिए प्रतिबंधित वस्तु है, लेकिन याची ने गलत घोषणा करते हुए निर्यात का प्रयास किया, जिस पर उनके खिलाफ जुर्माना लगाया गया था। यह पूछे जाने पर कि क्या गिरफ्तारी की कोई संभावना है, राजू ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार देती है और इसके प्रयोग से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पाया कि गिरफ्तारी की कोई भी आशंका याचिकाकर्ता को सम्मन का जवाब देने और आवश्यक जांच के लिए संबंधित जांच अधिकारी के सामने पेश होने के अधिकारों में अनावश्यक रूप से बाधा उत्पन्न करेगी। एकल पीठ ने कहा कि अब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध बनना नहीं पाया गया है और गिरफ्तारी करने के लिए कोई तथ्य रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं है। इसे देखते हुए कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दे दी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश जांच में बाधा नहीं डालेगा और यदि याचिकाकर्ता ने जांच में सहयोग से इंकार किया या विफल रहा तो ईडी अंतरिम आदेश को समाप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकेगी।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सीमा शुल्क अधिनियम के तहत एक आपराधिक शिकायत 17 जुलाई, 2020 को न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुंद्रा (कच्छ) के समक्ष दायर की गई थी, जिसके क्रम में ईडी ने कार्यवाही शुरू की। उन्होंने कहा कि अभी केवल सम्मन जारी किया गया है और याचिकाकर्ता अभी व्यथित व्यक्ति नहीं है, इसलिए स्थगन याचिका अपरिपक्व है। उन्होंने कहा कि पोटेशियम क्लोराइड निर्यात के लिए प्रतिबंधित वस्तु है, लेकिन याची ने गलत घोषणा करते हुए निर्यात का प्रयास किया, जिस पर उनके खिलाफ जुर्माना लगाया गया था। यह पूछे जाने पर कि क्या गिरफ्तारी की कोई संभावना है, राजू ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार देती है और इसके प्रयोग से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पाया कि गिरफ्तारी की कोई भी आशंका याचिकाकर्ता को सम्मन का जवाब देने और आवश्यक जांच के लिए संबंधित जांच अधिकारी के सामने पेश होने के अधिकारों में अनावश्यक रूप से बाधा उत्पन्न करेगी। एकल पीठ ने कहा कि अब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध बनना नहीं पाया गया है और गिरफ्तारी करने के लिए कोई तथ्य रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं है। इसे देखते हुए कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दे दी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश जांच में बाधा नहीं डालेगा और यदि याचिकाकर्ता ने जांच में सहयोग से इंकार किया या विफल रहा तो ईडी अंतरिम आदेश को समाप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकेगी।