ये कब्जे वाली दुकानें ऊंचे किराए पर दी हुई हैं। एक दुकान का दस से लेकर पन्द्रह हजार रुपए तक का किराया प्रतिमाह वसूल किया जा रहा है। पंगु पंचायत ,प्रशासन मौन बस स्टैण्ड की पिछली चार दीवारी को पूरा तोड़ दिया गया है। दुकानंे बनाते समय पंचायत ने किसी प्रकार का कोई एतराज नहीं जताया और न ही व्यवसायिक उपयोग पर पाबन्दी लगाई है।
किसी का ध्यान नहींबस स्टैण्ड की एक बीघा जमीन पंचायत समिति की है और एक बीघा ग्राम पंचायत ने रोडवेज बस स्टैण्ड को दे रखी है मगर इसकी तरफ न पंचायत, न पथ परिवहन निगम और न ही प्रशासन ध्यान दे रहा है। सरपंच से जब दुकानों के पट्टो के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इनके पास पट्टे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि शेरगढ़ में किसी भी आवासीय को व्यवसायिक नहीं किया हुआ है।
इनका कहना है ग्राम पंचायत व उपखण्ड अधिकारी को पांच से सात पत्र बस स्टैण्ड का मूल पट्टा देने के लिए लिखे । हमारे कर्मचारी भी शेरगढ़ ग्राम पंचायत में बस स्टैण्ड की जमीन का पट्टा लेने के लिए गए मगर पट्टा नहीं दिया गया। जब तक मूल पट्टा नहीं मिलता, हम निर्माण या अन्य कार्य नहीं करवा सकते।
बीआर बेड़ा, जीएम पथ परिवहन निगम जोधपुर
– हां, इनके पास पट्टे नहीं हैं और न ही किसी प्रकार के निर्माण की इजाजत ली गई है। देवीलाल राव, सरपंच शेरगढ़