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Cultural minister कल्ला का ऑसम है कल्चरल नॉलेज

locationजोधपुरPublished: Oct 30, 2019 07:54:12 pm

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर.राज्य के कला व संस्कृति मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ( Minister of Arts and Culture BD Kalla ) का कल्चरल और म्युजिकल नॉलेज जबरदस्त है। ट्रेन में सफर करने के दौरान जोधपुर के एक संगीतकार की उनसे संगीत ( Music News ) पर बातचीत हुई तो उनके ज्ञान की अथाह गहराई के बारे में जान कर उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ।
 
 
 

Cultural minister Dr. BD Kalla has awesome cultural knowledge

Cultural minister Dr. BD Kalla has awesome cultural knowledge

एम आई जाहिर ( m i zahir )/ जोधपुर.राज्य के कला व संस्कृति मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ( Minister of Arts and Culture BD Kalla ) बुधवार शाम जोधपुर से जयपुर जाते समय इंटरसिटी एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे और संयोग से उनके पास वाली सीट पर जोधपुर के म्यूजिशियन सतीश बोहरा भी बालोतरा से जोधपुर आने के लिए इसी ट्रेन में सफर कर रहे थे। बातों-बातों में जब कल्ला को पता चला कि पास में एक संगीतकार बैठे हैं तो उन्होंने कुछ एेसे सवाल किए जो संगीत ( Music News ) और संस्कृति से जुड़े थे। इस दौरान उन्होंने अपने अदभुत कल्चरल व म्यूजिकल नॉलेज का परिचय दिया। बोहरा ने उनके साथ हुआ यह वार्तालाप पत्रिका के साथ शेयर किया। उन्हीं के शब्दों में:
राजस्थान के सांस्कृतिक मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ( State Minister for Arts and Culture ) के साथ आज एक मुलाकात मानो संगीत के समुद्र में गोते लगाने जैसी रही। बहुत ही कम समय में उनके साथ पूरे संगीत पर चर्चा हो जाना एक बहुत ही आश्चर्यजनक और अदभुत अनुभव रहा। यात्रा के दौरान मेरे यह समझ में नहीं आ रहा था कि मैं किसी राजनेता – मंत्री से बात कर रहा हूं या किसी संगीत मर्मज्ञ अथवा संगीतकार से बात कर रहा हूं। खुद को चिकोटी काटी और लगा कि हां यह डॉ बी डी कल्ला ही हैं। जिनके पास इतना ज्ञान है कि क्या कहने। उनसे बातचीत से पता चला कि वे तो खुद ही संगीत की धुनें भी बनाते हैं। बातचीत कुछ इस तरह शुरू हुई। उन्होंने मुझसे पूछा कि मां सरस्वती की आरती किस प्रकार करते हो ? मैं जवाब देना शुरू ही किया था कि उन्होंने अपनी बात पूरी कर दी और मुझे समझाया कि आरती इस प्रकार से होती है कि प्रथम चरण के पास चार बार नाभि के पास दो बार मुखारविंद के पास एक बार और सम्पूर्ण सात बार आरती का क्रम चलता रहता है। इसके बाद उन्होंने अचानक से मुझसे पूछा कि बाजे कितने प्रकार के होते हैं। यह सवाल उन्होंने राजस्थानी भाषा में पूछा, जिसमें मैं समझ बैठाकि वे शायद हारमोनियम की बात कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे दुबारा पूछा कि बाजे कितने प्रकार के होते हैं? तब मैं समझ पाया ये बाजों के प्रकार के बारे में बात कर रहे हैं तो मैंने जवाब दिया कि सूसिर वाद्य घन वाद्य अवनध्य वाद्य और तंतु वाद्य। इस प्रकार में जैसे इसमें विस्तार से मेरी बात बता ही रहा था कि अचानक उन्होंने मुझसे पूछा- हाइब्रिड बाजा कौनसा है और उसका क्या नाम है? मैंने कहा-इलेक्ट्रिक इंस्ट्रुमेंट सिन्थेसाइजर आदि। मंत्री डॉ बी डी क ल्ला ने कहा- नहीं। उनका जवाब था- लोक वाद्य भपंग और उस वाद्य यंत्र के बारे में विस्तार से बताया। इतने में रेल चल गई और वो जयपुर की ओर प्रस्थान कर गए। मैं जोधपुर स्टेशन पर उतर गया।
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