scriptMother’s Day Special- माँ के संघर्ष से बेटियों ने लिखी सफलता की इबारत | Daughters wrote a story of success due to mother's struggle | Patrika News

Mother’s Day Special- माँ के संघर्ष से बेटियों ने लिखी सफलता की इबारत

locationजोधपुरPublished: May 09, 2021 07:38:25 pm

खुद नौवीं कक्षा तक पढ़ी, बेटियों को करवाया एलएलबी व एमए-बीएड

माँ के संघर्ष से बेटियों ने लिखी सफलता की इबारत

माँ के संघर्ष से बेटियों ने लिखी सफलता की इबारत

जयकुमार भाटी/जोधपुर. कहते है हौसला, लगन, मेहनत और खुद पर भरोसा हो तो राह की मुश्किलें लक्ष्य को पाने से रोक नहीं सकती। ऐसे में अपने जीवन को तपस्या बनाकर बेटियों को उनके मुकाम तक पहुंचाने वाली मां के संघर्ष भरी कहानी किसी के लिए भी प्रेरणादायी साबित हो सकती है। महामंदिर तीसरी पोल के बाहर शिवशक्ति नगर निवासी सूरज देवी ने अभावों के बीच आर्थिक तंगी से जूझते हुए बेटियों को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया है। पति मनमोहन सिंह सोलंकी के साथ 43 वर्ष पहले शादी हुई थी। पति सब्जी मंडी में फुटपाथ पर सब्जी की दुकान लगाते थे। जिससे तीन बेटियों व एक बेटे के साथ अपनी गृहस्थी चलाने में समस्या आने लगी। आय का ओर कोई साधन नहीं होने से अलसुबह पति के साथ सब्जी मंडी जाने के साथ-साथ नौवीं कक्षा तक खुद पढऩे के बावजूद छोटे बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू किया। बाद में सब्जी मंडी जाना भी बंद हो गया तो एक निजी स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। वहीं इस तंगी के बीच भी तीन बेटियों व एक बेटे की शिक्षा सुचारु रखी।
बेटियों को पैरों पर किया खड़ा
सूरज देवी ने खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होने से जिन मुश्किलों व आर्थिक समस्याओं का सामना किया, वैसा संघर्ष बेटियों को ना करना पड़े इसके लिए उन्हें शिक्षित करने की ठानी। बेटियों के लिए खुद संघर्ष करती गई, लेकिन उनकी शिक्षा को कभी नहीं रूकने दिया। जिसकी वजह से सबसे बड़ी बेटी नीतूबाला कच्छवाहा को बीए-एलएलबी करवाया। जो पिछले 17 वर्षो से राजस्थान उच्च न्यायालय व अधीनस्थ न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर निरंतर कार्य कर रही हैं। वहीं मंझली बेटी ममता गहलोत को संस्कृत में एमए बीएड करवाया। जो पिछले 15 वर्षो से शिक्षिका के तौर पर स्कूल में पढ़ा रही हैं। इसी तरह छोटी बेटी मनीषा सांखला को भी लोकप्रशासन में एमए के साथ दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए स्पेशल बीएड करवाया। फिलहाल मनीषा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। सूरज देवी की तीनों बेटियों ने तो मां के संघर्ष से सफलता की इबारत लिखी, लेकिन बेटा हिम्मतसिंह स्नातक से ज्यादा नहीं पढ़ पाया और अपना बिजनेस शुरू किया। बेटियों के साथ बेटे की शादी की तो स्नातक बहू चेष्ठा की पढऩे के प्रति जिज्ञासा को देखकर सूरज देवी ने उन्हें भी लोकप्रशासन में एमए बीएड करवाया। अभी बहू निजी स्कूल में पढ़ा रही हैं। सूरज देवी के संघर्ष से आज उनकी तीनों बेटियां शादी के बाद अपना घर-परिवार संभाल रही हैं और अपनी मां की मिसाल अपने बच्चों को दे रही हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो