बेटियों को पैरों पर किया खड़ा
सूरज देवी ने खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होने से जिन मुश्किलों व आर्थिक समस्याओं का सामना किया, वैसा संघर्ष बेटियों को ना करना पड़े इसके लिए उन्हें शिक्षित करने की ठानी। बेटियों के लिए खुद संघर्ष करती गई, लेकिन उनकी शिक्षा को कभी नहीं रूकने दिया। जिसकी वजह से सबसे बड़ी बेटी नीतूबाला कच्छवाहा को बीए-एलएलबी करवाया। जो पिछले 17 वर्षो से राजस्थान उच्च न्यायालय व अधीनस्थ न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर निरंतर कार्य कर रही हैं। वहीं मंझली बेटी ममता गहलोत को संस्कृत में एमए बीएड करवाया। जो पिछले 15 वर्षो से शिक्षिका के तौर पर स्कूल में पढ़ा रही हैं। इसी तरह छोटी बेटी मनीषा सांखला को भी लोकप्रशासन में एमए के साथ दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए स्पेशल बीएड करवाया। फिलहाल मनीषा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। सूरज देवी की तीनों बेटियों ने तो मां के संघर्ष से सफलता की इबारत लिखी, लेकिन बेटा हिम्मतसिंह स्नातक से ज्यादा नहीं पढ़ पाया और अपना बिजनेस शुरू किया। बेटियों के साथ बेटे की शादी की तो स्नातक बहू चेष्ठा की पढऩे के प्रति जिज्ञासा को देखकर सूरज देवी ने उन्हें भी लोकप्रशासन में एमए बीएड करवाया। अभी बहू निजी स्कूल में पढ़ा रही हैं। सूरज देवी के संघर्ष से आज उनकी तीनों बेटियां शादी के बाद अपना घर-परिवार संभाल रही हैं और अपनी मां की मिसाल अपने बच्चों को दे रही हैं।
सूरज देवी ने खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होने से जिन मुश्किलों व आर्थिक समस्याओं का सामना किया, वैसा संघर्ष बेटियों को ना करना पड़े इसके लिए उन्हें शिक्षित करने की ठानी। बेटियों के लिए खुद संघर्ष करती गई, लेकिन उनकी शिक्षा को कभी नहीं रूकने दिया। जिसकी वजह से सबसे बड़ी बेटी नीतूबाला कच्छवाहा को बीए-एलएलबी करवाया। जो पिछले 17 वर्षो से राजस्थान उच्च न्यायालय व अधीनस्थ न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर निरंतर कार्य कर रही हैं। वहीं मंझली बेटी ममता गहलोत को संस्कृत में एमए बीएड करवाया। जो पिछले 15 वर्षो से शिक्षिका के तौर पर स्कूल में पढ़ा रही हैं। इसी तरह छोटी बेटी मनीषा सांखला को भी लोकप्रशासन में एमए के साथ दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए स्पेशल बीएड करवाया। फिलहाल मनीषा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। सूरज देवी की तीनों बेटियों ने तो मां के संघर्ष से सफलता की इबारत लिखी, लेकिन बेटा हिम्मतसिंह स्नातक से ज्यादा नहीं पढ़ पाया और अपना बिजनेस शुरू किया। बेटियों के साथ बेटे की शादी की तो स्नातक बहू चेष्ठा की पढऩे के प्रति जिज्ञासा को देखकर सूरज देवी ने उन्हें भी लोकप्रशासन में एमए बीएड करवाया। अभी बहू निजी स्कूल में पढ़ा रही हैं। सूरज देवी के संघर्ष से आज उनकी तीनों बेटियां शादी के बाद अपना घर-परिवार संभाल रही हैं और अपनी मां की मिसाल अपने बच्चों को दे रही हैं।