बीट सूखने के बाद डस्ट का रूप लेती है फिजिशियन डॉ. अशोक राठी व डॉ. अंकित राठी ने बताया कि कबूतरों की बीट सूखने के बाद डस्ट का रूप लेती है। श्वास के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच उन्हें नुकसान पहुंचाती है। ब्लड के इम्यूनोकैप विधि से कबूतरों की बीट व फंगस के प्रति आइजीजी एंटीबॉडी का पता लगाकर चिकित्सक परामर्श देते हैं। इस बीमारी में लापरवाही करने से कई बार मरीजों को ताउम्र ऑक्सीजन के सहारे जीना पड़ता है। इसके उपचार के दौरान मरीजों को आइसोलेटेड रखा जाता है और स्टेरायड और ऑक्सीजन देकर उपचार किया जाता है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. नवीन किशोरिया ने कहा कि जोधपुर में पहले से प्रदूषण है, इसके बाद ये बीमारी गंभीर रूप लेती जा रही है। इसके मरीज बड़ी संख्या में जोधपुर में बढ़ रहे हैं। उन्होंने इस बीमारी से अवेयर रहने की जरूरत बताई।