बाजार का जायजा लेने पर पता चला कि शहर में अपने मेहमानों को सिर्फ ड्राई फ्रूट्स परोसने वाले मेजबानों की तादाद कम नहीं है। क्योंकि आजकल मेहमानों को मिठाइयां परोसने के साथ सूखे मेवे खिलाना भी ट्रेंड बन गया है। शहर के बाजारों में साबुत काजू व डबल फाड़ काजू, छोटी-बड़ी अंजीर, अमरीकन व मोम बादामों की अलग-अलग पैकिंग खरीदारों को लुभा रही है, जिनमें पॉलीथिन पैक व रंगबिरंगे गत्ते पर ड्राई फ्रूट्स सजे हुए हैं। बाजार के पंडितों का अनुमान है कि इस बार इन सूखे मेवे का कारोबार 5 से 6 करोड़ तक हो सकता है। होलसेल मेवा व्यवसायी जुगल शाह व सोहनलाल लोहिया ने बताया कि शहर में पूरे साल आम तौर पर मेवों की खरीद दिवाली और सावे के सीजन में ही होती है। यह कारोबार ग्राहकों और मिष्ठान भंडार की ग्राहकी पर ज्यादा निर्भर करता है।
मिठाई व्यापारी गोपीकिशन माहेश्वरी व मिष्ठान भंडार प्रबंधक सुरेश शर्मा के अनुसार जोधपुर में सूखे मेवा परोसने वालों की तुलना में मेवा निर्मित मिठाइयों से खातिर करने का चलन ज्यादा है। खास तौर पर मेवा रोल, काजू कतली, अंजीर कतली, पंचमेवा कतली व पिस्ता रोल लोगों की मुख्य पसंद हैं। जिससे इसका कारोबार 14 करोड़ तक होने की उम्मीद है।
शहर में धनतेरस से लेकर भाईदूज तक घरों में मेहमान-नवाजी के समय बार-बार मिठाइयों की खरीदारी करने से बचने के लिए लोग एक बार में ही मेवे कीमिठाइयां खरीदते हैं।
बरसों पहले दाल बादाम की चक्की को ही मेवा मिठाई में शामिल किया जाता था। बदलते समय के साथ अब जोधपुर के बाजारों में काजू कतली, मेवा रोल व पिस्ता लांैग की डिमांड हो गई हैं। वहीं इन दिनों बाजार में पटाखों के नाम से भी मिठाइयां आ चुकी हैं, जिनका नाम जमीन चकरी, तारा-तूरी व कैंडल मिठाई रखा गया है, इनमें ग्राहकों को नाम के साथ आकर्षित करने के अलावा इनमें ड्राई फ्रूट भी डाले गए हैं।