जिला प्रशासन की ओर से 427 पाक विस्थापितों के नागरिकता के प्रमाण तैयार किए जा रहे हैं। 229 विस्थापितों को नागरिकता प्रमाणपत्र देने का काम शुरू हो गया है। अधिकांश प्रमाणपत्र डाक से भेजे जा रहे हैं।
बीमार मां से मिल नहीं पाई
बाड़मेर के नथाणिया का बास निवासी भंवराराम (56) के अधिकांश रिश्तेदार अमरकोट (पाकिस्तान) में रहते हैं। उसकी शादी वर्ष 2009 में अमरकोट में रहने वाली स्वरूपी से हुई थी। उसने करीब 1 साल पहले पत्नी को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए आवेदन किया था। लेकिन पूरे दस्तावेज नहीं होने से नागरिकता नहीं मिल पाई। स्वरूपी आवेदन करने के बाद इस डर से अपने पीहर नहीं गई कि नागरिकता मिलने में कोई अड़चन न आ जाए। गत दिनों उसकी मां बीमार हो गई और तीन महिने बाद भाई की बेटी की शादी है।
सात पीढी से भारत में कर रहे लड़कियों की शादी पावटा में वीरदुर्गादास कॉलोनी निवासी विक्रमसिंह ने बताया कि आजादी के समय से पाकिस्तान में रहने वाली परिवार की लड़कियों की शादी भारत में की जा रही है। उसकी शादी सन् 2001 में अमरकोट में रहने वाली हवाकंवर से हुई। वर्ष 2015 में पत्नी के भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया लेकिन चुनाव आचार संहिता के कारण नागरिकता नहीं मिल पाई। जबकि परिवार के अन्य सदस्यों के नागरिकता प्रमाणपत्र डाक से आ गए। पत्नी की नागरिकता के बारे में पूछा तो कर्मचारियों ने बताया कि फाइल नहीं मिल रही है।
चक्कर काट परेशान हो गए
नादंड़ी के रामदेव नगर निवासी अजमलराम (38) ने बताया कि वर्ष 2011 में वह माता-पिता और परिवार के आठ सदस्यों के साथ पाकिस्तान से जोधपुर आए थे। उसने वर्ष 2012 में नागरिकता के लिए आवेदन किया था। तब से नागरिकता के लिए चक्कर काट रहा है। शिविर जानकारी मिली तो यहां आया लेकिन उसकी फाइल भी नहीं मिल रही है।
इनका कहना है ‘शिविर में उन्हीं स्थापितों को बुलाया था जिनकी फाइल पर आइबी और सीआइडी की रिपोर्ट आ चुकी है। लेकिन वे लोग भी आ गए जिनकी रिपोर्ट नहीं आई है। इस कारण उन्हें लगा उनकी फाइल नहीं मिल रही है। हालांकि शिविर में आए लोगों को सभी नियम और नागरिकता के लिए आश्वयक दस्तावेजों के बारे जानकारी दी गई।
जवाहर चौधरी, एडीएम (शहर प्रथम)