सभी निकायों को जानकारी में तीन प्रमुख बातों की जानकारी भेजनी है। इसमें एरिया ऑफ डम्पिंग ग्राउंड, औसत ऊंचाई और कचरे का वोल्यूम क्यूबिक मीटर में अंकित का स्वायत्त शासन विभाग को भिजवाना है। इससे प्रदेश स्तर पर जानकारी जुटाई जाएगी कि इस निकाय में कचरा निस्तारण की आवश्यकता जल्द करनी है और कौनसे शहर पर कितना जुर्माना लग सकता है।
अगले सप्ताह जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा, अजमेर, सीकर, करौली, राजसमंद, अलवर, टोंक, ब्यावर, बूंदी, बारां, हनुमानगढ़ शहरों के निकाय अधिकारियों को बैठक के लिए निदेशालय बुलाया गया है। इसी प्रकार श्रीगंगानगर, झुंझुनूं, सुमेरपुर, तखतगढ़, शिवगंज, दौसा, नागौर, सवाइमाधोपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, किशनगढ़, धौलपुर, चुरू, जालोर, सिरोही, चितौडगढ़़, प्रतापगढ़ और झालावाड़ निकायों को भी बुलाया गया है।
-1 लाख से कम आबादी वाले शहरों से— 5 लाख
-1 से 5 लाख तक की आबादी वाले निकायो से– 10 लाख
-5 से 15 लाख तक की आबादी वाले निकायों से– 1 करोड़
-15 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से– 5 करोड़
– जोधपुर शहर में पिछले 10-12 साल से बंद है कचरा निस्तारण
– 650 टन कचरा प्रतिदिन केरू डम्पिंग साइट पर लाया जाता है
– 20 लाख टन से ज्यादा कचरा डम्पिंग साइट पर जमा होने का अंदेशा