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मुश्किल घड़ी में भी शहर के कुछ पर्यावरणवीर निभा रहे प्रकृति संरक्षण धर्म, इन पर भी पड़ रहा है असर

locationजोधपुरPublished: Apr 10, 2020 07:12:41 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

वैश्विक महामारी कोरोना लॉकडाउन का असर आमजन, वन्यजीवों के साथ अब पेड़ पौधों पर भी पडऩे लगा है। शहर के प्रमुख उद्यान मंडोर, पब्लिक पार्क, मसूरिया वीर दुर्गादास पार्क सहित विभिन्न कॉलोनियों के पार्क में लगे पौधे नियमित पानी नहीं मिलने से सूखने लगे हैं।

environmentalists are providing services during coronavirus lockdown

मुश्किल घड़ी में भी शहर के कुछ पर्यावरणवीर निभा रहे प्रकृति संरक्षण धर्म, इन पर भी पड़ रहा है असर

जोधपुर. वैश्विक महामारी कोरोना लॉकडाउन का असर आमजन, वन्यजीवों के साथ अब पेड़ पौधों पर भी पडऩे लगा है। शहर के प्रमुख उद्यान मंडोर, पब्लिक पार्क, मसूरिया वीर दुर्गादास पार्क सहित विभिन्न कॉलोनियों के पार्क में लगे पौधे नियमित पानी नहीं मिलने से सूखने लगे हैं। माचिया जैविक उद्यान में केट फेमिली के टाइगर, लॉयन, पैंथर और बंदरों पर भी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सुरक्षा कारणों से स्टाफ को घर पर ही रहने के निर्देश के कारण माचिया जैविक उद्यान के करीब आठ हजार पौधों को भी पानी मिलना बंद हो गया है।
गर्मी में लंबे समय तक पानी नहीं मिलने से अधिकांश पौधों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कायलाना के पास स्थित करीब 41 हेक्टेयर में फैले माचिया जैविक उद्यान में जापान इंटरनेशनल कॉआपरेशन एजेन्सी ‘जायका ‘ ने 24 करोड़ से अधिक की राशि का सहयोग किया है। राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता फेज-2 के तहत भी वन्यजीव संरक्षण, वन क्षेत्र विकास, पारिस्थितिकी संतुलन तथा वन क्षेत्रों में बढ़ोतरी के लिए जोधपुर जिले के ओसियां, फलोदी, बाप में रोपित पौधों पर लॉकडाउन से नियमित पानी पिलाने का संकट छा गया है।
लॉकडाउन में भी निभा रहे अपना पर्यावरण संरक्षण का धर्म
सूर्यनगरी में पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कई ऐसे लोग धरती के पुरोधा है जिनका उद्देश्य केवल मात्र प्रकृति और पर्यावरण को बचाना है। शहर के इन पर्यावरणवीरों में कई पर्यावरणवीर तो ऐसे है कि जब तक पेड़ों की नियमित देखभाल नहीं करते है तब तक भोजन नहीं करते है। राजस्थान पत्रिका के हरयाळो राजस्थान से प्रेरणा लेने वाले मगरा पूंजला चतुरावता बेरा क्षेत्र निवासी सुभाष गहलोत लॉकडाउन में भी करीब आठ हजार से अधिक पेड़ पौधों को नियमित पानी पिलाकर अपना पर्यावरण संरक्षण का धर्म निभा रहे है।
करीब 50 बीघा पहाड़ी क्षेत्र में फैले उद्यान में विशेष तौर पर जामुन, आम, चीकू, शहतुत एवं इमली जैसे फल आच्छादित पेड़-पौधों पर इन दिनों कोयल, बुलबुल, मोर, तोते सहित विभिन्न प्रजातियों की पक्षियों की संख्या भी बढ़ रही है। भदवासिया से माता का थान डिवाईडर पर रोपित पौधों की नियमित देखभाल के लिए पानी के टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। वन विभाग से वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त पूर्ण सिंह बनाड़ नांदड़ी क्षेत्र की सज्जन लीला विहार कॉलोनी में अपने निवास क्षेत्र में 250 पौधों की नियमित देखभाल कर उन्हें पानी पिलाने की निस्वार्थ भाव से जिम्मेदारी निभा रहे है।

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