राज्य सरकार ने सन् 2014 में पंचायत राज संस्थाओं का पुनर्गठन किया तो गांवों में विकास की रफ्तार को बढ़ाने के लिए बिलाड़ा की 13 और भोपालगढ़ की 15 ग्राम पंचायतों को मिलाकर पीपाड़सिटी पंचायत समिति का गठन किया। इसमें सदस्यों के 23 निर्वाचन क्षेत्र बनाए। नवगठित पंचायत समिति में प्रधान का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होने के कारण भाजपा की इंद्रा मेघवाल चुनी गई।
चुनावी समीकरण पंचायत समिति के सन् 2015 के चुनावों में सदस्यों के 23 निर्वाचन क्षेत्रों में से भाजपा ने 15 और कांग्रेस ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया। भाजपा की प्रधान इंद्रा मेघवाल और उप प्रधान डूंगरराम बडिय़ार चुने गए। सभी सदस्य सैकेंडरी या इससे उच्च शिक्षा के चुने गए। इनमें वार्ड सं 20 से निर्वाचित सोनू भाटी ने एक साल बाद ही सरकारी सेवा में चयनित होने के बाद इस्तीफा दे दिया। उप चुनाव में कांग्रेस के ही बुधाराम मेघवाल रिक्त सीट से चुने गए।
साधारण सभा की बैठकों की स्थिति नव सृजित पंचायत समिति की साधारण सभा की पांच वर्षों में मात्र 9 बैठकें ही हो सकी। जबकि पंचायत राज अधिनियम के अनुसार प्रति माह बैठक का प्रावधान है। उसके मुकाबले आयोजित बैठकें ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। नियम के अनुसार बैठक आहूत करने का प्रधान को अधिकार होता है।
सदस्यों की उपस्थिति पंचायत समिति की साधारण सभा में प्रधान, उप प्रधान के साथ सदस्य गणपतराम की सभी 9 बैठकों में उपस्थिति दर्ज रही है। बाबूलाल विश्नोई की 8, हरिसिंह विश्नोई, छोटी देवी, अर्जुनराम देवासी की 7, मोहन कंवर, बुधाराम मेघवाल की 5, विनीता राज, चन्द्रा देवी, माया देवी की 4, बबलू कंवर, भजनलाल, आयशा सिंधी, नारायणराम, पुराराम की 3, नवीन राठौड़, रामकथा, सोनू भाटी, भंवराराम पांच वर्ष में मात्र 1 बैठक में ही उपस्थित रहे । मधुबाला, रेखा राव और बेबी निर्वाचन की शपथ के बाद से ही अनुपस्थित रहीं। जबकि पंचायत राज अधिनियम के अनुसार तीन बैठकों में किसी सदस्य का लगातार अनुपस्थित रहने पर सदस्यता समाप्त करने का नियम है, जो सत्ता के चलते फाइल से बाहर नहीं आ सका।