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गिलोय की टेबलेट से कोविड-19 बीमारी का ईलाज

locationजोधपुरPublished: Jul 20, 2020 06:59:08 pm

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– जोधपुर स्थित आयुर्वेद विवि को एक महीने तक परीक्षण के बाद मिली सफलता- एलोपैथी की तुलना में आयुर्वेद में नेगेटिव होने की दर आधी

गिलोय की टेबलेट से कोविड-19 बीमारी का ईलाज

गिलोय की टेबलेट से कोविड-19 बीमारी का ईलाज

जोधपुर. गिलोय के तने से बनी टेबलेट ने कोविड-19 रोगियों को बगैर किसी साइड इफैक्ट के स्वस्थ कर दिया। अंतरराष्ट्र्रीय मानकों के अनुसार एलोपैथी की अलग-अलग दवाइयां जहां 10 से 12 दिन में रोगी को कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव कर रही है वहीं गिलोय टेबलेट से मरीज 5 से 7 दिन में नेगेटिव आ गए। नेगेटिव दर आधी रहने और नॉन कोरोना मरीजों को भी इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर कोरोना से बचाव के लिए गिलोय दे सकने के कारण अब चिकित्सकों के साथ आम जनता में भी खुशी की लहर है।
1 महीने तक 40 मरीजों पर परीक्षण, एक दर्जन से अधिक टेस्ट
जोधपुर स्थित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार के बोरानाडा कोविड सेंटर में 30 मई से 30 जून तक परीक्षण शुरू किया गया। इसके लिए 18 से 60 वर्ष की आयु के 40 मरीजों का चुनाव किया गया। मरीजों को केवल आयुर्वेदिक उपचार दिया गया। गिलोय की 500 मिलीग्राम की टेबलेट सुबह-शाम दी गई। कोरोना पॉजिटिव मरीज 3 से लेकर 7 दिन में नेगेटिव आ गए, लेकिन गिलोय का असर देखने के लिए एक महीने तक टेबलेट दी गई। इसके साथ-साथ मरीजों के लीवर, किडनी, हार्ट सहित अन्य फिजियोलॉजिकल टेस्ट किए गए। गिलोय का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं मिला।
वायरस के लिहाज से पहली बार गिलोय का परीक्षण

गिलोय का तना इम्यूनिटी बढ़ाने व एंटी वायरल गुण के लिए जाना जाता है, लेकिन किसी वायरस के विरुद्ध यह पहली बार परीक्षण किया गया था।
कम्पोनेंट पर अब शोध संभव
एलोपैथी की दवाइयों में सामान्यत: एक ही कम्पोनेंट होता है जो इफैक्ट या साइड इफैक्ट दिखाता है लेकिन आयुर्वेदिक दवाइयों में पूरी जड़ी-बूटी इस्तेमाल होने से इसमें कई कम्पोनेंट आ जाते हैं। गिलोय में मौजूद कौनसा कम्पोनेंट कोरोना वायरस से लड़ रहा था, इस अब शोध की उम्मीद है।
नॉन कोरोना मरीज 15 दिन ले सकते हैं

स्वस्थ व्यक्ति 500 मिलीग्राम की टेबलेट सुबह-शाम 15 दिन तक लेकर अपनी इम्यूनिटी बूस्ट कर सकते हैं। कोरोना मरीजों को यह एक महीने दी गई थी।
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अंतरराष्ट्रीय जर्नल में करेंगे प्रकाशित
गिलोय का कोविड-19 पर हमारा शोध सफल रहा। हम अपने शोध पत्र को किसी अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित करेंगे।

– प्रो अभिमन्यु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ. एसआरएस राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर

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