गिनी-चुनी साइकिलें मिलीं राजस्थान पत्रिका टीम ने गुरुवार को शहर के कुछ बालिका सरकारी विद्यालयों की पड़ताल की, जहां नामांकन के अनुरूप गिनी-चुनी साइकिलें मिली। जो साइकिलें मिली, वे भी फैंसी थी, सरकार की नहीं थी। जबकि कई स्कूलों के बाहर तो साइकिलें तक नजर नहीं आई। ये साइकिलें कहां है, ये पूछने की जेहमत भी संस्था प्रधान नहीं उठाते।
ये है योजना का मकसदराजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाओ के अध्ययन के लिए सामान्य दूरी से ज्यादा दूरी तय करने की मुसीबत से छुटकारा दिलाने के लिए साल 2007 – 08 में साइकिल वितरण योजना का प्रारंभ किया था। उसके बाद योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्रों की स्कूलों को भी मिलने लगा, लेकिन आज के दौर में अधिकांश स्कूलों में साइकिलें कम दिखाई दे रही है।
दो सालों में देखिए जोधपुर में किस ब्लॉक में कितनी बंटी साइकिलेंबाप- 1657 शेरगढ़-1788देचू-1201 बालेसर-1625लोहावट-2546 बावड़ी-1584बापिणी-1685 ओसियां-2244भोपालगढ़-1496 बिलाड़ा-1613तिंवरी-1699 सेखाला-1198फलोदी-1956 जोधपुर शहर-37 सौ कुछलूनी-3523 पीपाड़ शहर-1629मंडोर- 2170
(ये आंकड़े साल 2020-21 व 202़1-22 के हैं। जिसमें लगभग 32 हजार कुछ साइकिलें जिले में वितरित हुईं। ) गाइडलाइन में कह रखा है साइकिल लेकर आएं हमने मीटिंग में भी कह रखा है कि साइकिलें लेकर आएं। गाइडलाइन में भी कह रखा है कि साइकिलें लेकर आना हैं। गांव में वैसे मॉर्निंग में छात्राएं साइकिल लेकर आती हैं, यदि कहीं नहीं ला रही है तो पाबंद कर देंगे। शहर में ज्यादातर स्कूल नजदीक है, इस कारण साइकिलें नहीं ला रही।
– अमृतलाल, डीइओ माशि, मुख्यालय्