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स्कूलों से गुमशुदा है बेटियों की साइकिलें

locationजोधपुरPublished: Aug 19, 2022 05:27:02 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

अधिकांश बालिका स्कूलों में नहीं दिख रही साइकिलें बेटियों को मिलने वाली साइकिलें घर में पड़ी है या कोई और चला रहा, अनभिज्ञ है शिक्षा विभाग

स्कूलों से गुमशुदा है बेटियों की साइकिलें
जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में कक्षा नवमीं में आने वाली छात्राओं को दी जाने वाले साइकिलें स्कूलों से गायब हैं। ये साइकिलें कहां हैं और किस जगह हैं, इस बारे में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार भी अनभिज्ञ हैं। जबकि गत दो-तीन वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो हजारों साइकिलें जोधपुर जिले व शहर में बांटी जा चुकी हैं, लेकिन ये साइकिलें विद्यालयों में दिख ही नहीं रही। इसकी बजाय कई छात्राएं दूसरी फैंसी साइकिलों पर ही दिख रही है। जिन बच्चों को साइकिलें मिली थी, उनमें कई बच्चे अब दसवीं व उससे आगे की कक्षाओं में क्रमोन्नत हो गए हैं, लेकिन उनके पास साइकिलें नजर नहीं आ रही।
गिनी-चुनी साइकिलें मिलीं

राजस्थान पत्रिका टीम ने गुरुवार को शहर के कुछ बालिका सरकारी विद्यालयों की पड़ताल की, जहां नामांकन के अनुरूप गिनी-चुनी साइकिलें मिली। जो साइकिलें मिली, वे भी फैंसी थी, सरकार की नहीं थी। जबकि कई स्कूलों के बाहर तो साइकिलें तक नजर नहीं आई। ये साइकिलें कहां है, ये पूछने की जेहमत भी संस्था प्रधान नहीं उठाते।
ये है योजना का मकसदराजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाओ के अध्ययन के लिए सामान्य दूरी से ज्यादा दूरी तय करने की मुसीबत से छुटकारा दिलाने के लिए साल 2007 – 08 में साइकिल वितरण योजना का प्रारंभ किया था। उसके बाद योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्रों की स्कूलों को भी मिलने लगा, लेकिन आज के दौर में अधिकांश स्कूलों में साइकिलें कम दिखाई दे रही है।
दो सालों में देखिए जोधपुर में किस ब्लॉक में कितनी बंटी साइकिलेंबाप- 1657

शेरगढ़-1788देचू-1201

बालेसर-1625लोहावट-2546

बावड़ी-1584बापिणी-1685

ओसियां-2244भोपालगढ़-1496

बिलाड़ा-1613तिंवरी-1699

सेखाला-1198फलोदी-1956

जोधपुर शहर-37 सौ कुछलूनी-3523

पीपाड़ शहर-1629मंडोर- 2170
(ये आंकड़े साल 2020-21 व 202़1-22 के हैं। जिसमें लगभग 32 हजार कुछ साइकिलें जिले में वितरित हुईं। )

गाइडलाइन में कह रखा है साइकिल लेकर आएं

हमने मीटिंग में भी कह रखा है कि साइकिलें लेकर आएं। गाइडलाइन में भी कह रखा है कि साइकिलें लेकर आना हैं। गांव में वैसे मॉर्निंग में छात्राएं साइकिल लेकर आती हैं, यदि कहीं नहीं ला रही है तो पाबंद कर देंगे। शहर में ज्यादातर स्कूल नजदीक है, इस कारण साइकिलें नहीं ला रही।
– अमृतलाल, डीइओ माशि, मुख्यालय्

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