स्टेज के सामने बैठें लिस्निंग स्किल को विकसित करने के लिए स्टेज के सामने बैठें और आपका मुंह स्पीकर की तरफ होना चाहिए। स्पीकर से लगातार आई कॉन्टेक्ट बनाकर रखें। यदि आप खड़े हंै तो आराम की स्थिति में खड़े रहें। यदि आप बैठे हैं तो अपने हाथों को क्रॉस करके न बैठें। आपके पैर भी क्रॉस की स्थिति में नहीं होने चाहिए, नहीं तो स्पीकर को निगेटिव मैसेज मिलेगा। लिस्निंग स्किल को विकसित करने के लिए बॉडी लैंग्वेज को भी पॉजिटिव रखना आवश्यक है। आपका यही फीडबैक कम्यूनिकेशन को प्रभावी बनाने का काम करेगा।
ध्यान से सुनने के होंगे कई लाभ
ध्यान से सुनने के होंगे कई लाभ
लिस्निंग स्किल को विकसित करने से आप न केवल मैसेज को ठीक तरह से समझ सकते हैं, बल्कि अपनी नॉलेज को भी बढ़ा सकते हैं। इस तरह आप किसी बात से असहमत हैं तो अपने विचार भी रख सकते हैं। इसके अलावा यदि स्पीकर को यह मैसेज मिलेगा कि आप उनकी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं तो वे आपको और अधिक जानकारियां देने के लिए उत्सुक रहेंगे। एक्टिव लिस्निंग आमने-सामने के कम्यूनिकेशन में बहुत प्रभावी तरीके से काम करती है।
वार्तालाप के सदंर्भ को समझें
वार्तालाप के सदंर्भ को समझें
आप फोन पर किसी की बातों को सुन रहे हो या फिर आमने-सामने हो, लिस्निंग स्किल बहुत ही पावरफुल होती है। इससे आपको सामने वाले व्यक्ति की बातों को समराइज करने में मदद मिलेगी। जब आप स्पीकर से कोई प्रश्न करें तो यह कहते हुए बात शुरू कर सकते हैं कि आप आपने ऐसा कहा था या फिर अभी आपने जो उदाहरण दिया, उसके संदर्भ में मैं अपने विचार रखना चाहता हूं, आदि। स्पीकर को यह मैसेज मिलेगा कि आपने उनकी बातों को ध्यान से सुना है। इस तरह आपकी यह स्किल नए अवसर भी लेकर आती है। साथ ही आपका नेटवर्क भी मजबूत होता है।
होमवर्क है जरूरी
होमवर्क है जरूरी
लिस्निंग स्किल को विकसित करने के लिए कोई ऑनलाइन वीडियो भी देख सकते हैं। इस दौरान स्पीकर की बातों को ध्यान से सुनें और कुछ जरूरी बातों को एक कागज पर नोट करें। इस तरह आप एक एक्टिव श्रोता बन सकते हैं। वर्कप्लेस पर होने वाली मीटिंग में भी इसी तरह जरूरी बातों को नोट करके आप संबंधित प्रश्न कर सकते हैं। यह व्यक्तित्व की गंभीरता को प्रदर्शित करेगा।