यह बात केंद्र व राज्य के बजट से आम लोगों की अपेक्षाओं पर राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित परिचर्चा में सामने आई। परिचर्चा के दौरान हर वर्ग के लोगों ने कहा कि चिकित्सा का बजट बढ़ाने के साथ साथ मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने की दरकार है। इस दौरान निजी अस्पतालों में महंगा इलाज नियंत्रित करने के लिए भी कदम उठाए जाने की बात उभर कर सामने आई।
सस्ते इलाज को मिले प्राथमिकता
उचित व सस्ते इलाज को बजट में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार ने आयुष भारत जैसी योजना शुरू की है। निजी चिकित्सालय में भी सेवा प्रारंभ होगी। इस पर सरकार का नियंत्रण कठोर होना चाहिए, ताकि गरीब को सही इलाज मिले। भामाशाह योजना में ऐसा नहीं हो सका। अन्य प्रदेशों की तरह निजी चिकित्सकों को भी ऑनरेरी सिस्टम के तहत नियुक्ति मिलनी चाहिए। इससे सरकारी अस्पतालों में अनुभवी चिकित्सकों का नि:शुल्क लाभ मिल सकेगा।
उचित व सस्ते इलाज को बजट में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार ने आयुष भारत जैसी योजना शुरू की है। निजी चिकित्सालय में भी सेवा प्रारंभ होगी। इस पर सरकार का नियंत्रण कठोर होना चाहिए, ताकि गरीब को सही इलाज मिले। भामाशाह योजना में ऐसा नहीं हो सका। अन्य प्रदेशों की तरह निजी चिकित्सकों को भी ऑनरेरी सिस्टम के तहत नियुक्ति मिलनी चाहिए। इससे सरकारी अस्पतालों में अनुभवी चिकित्सकों का नि:शुल्क लाभ मिल सकेगा।
– डॉ. नगेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन —– निजी अस्पतालों पर रहे नियंत्रण मेडिक्लेम पॉलिसी शरीर पर लागू होने वाली सभी तरह की व्ययों की प्रतिपूर्ति का साधन है। कोरोना में देखा गया कि अधिकतर निजी अस्पतालों ने जरूरत से ज्यादा बिलिंग की। खामियाजा आमजन, सरकार व इंश्योरेंस कंपनी को भुगतना पड़ा। डेफिसिएंस बिल सिस्टम (रूम की कैटैगरी के साथ में एसोसिएट्स खर्चे का बढऩा) बंद किया जाए। निजी हॉस्पिटल में सिंगल रूम का किराया सामान्य वार्ड से पांच गुणा अधिक कर दिया गया है। ऐसे कदमों पर अंकुश लगना चाहिए।
– महावीर काबरा, मेडिकल इंश्योरेंस विशेषज्ञ
– महावीर काबरा, मेडिकल इंश्योरेंस विशेषज्ञ
——— बढऩा चाहिए मेडिकल बजट डॉक्टर्स ने कोरोना में फ्रंट लाइन पर रहकर अच्छा कार्य किया है। भारत में जीडीपी का 3.8 फीसदी खर्च होता है, जबकि विकसित देशों में 10 प्रतिशत से ऊपर खर्च होता है। इंडियन मेडिकल सर्विस कैडर की स्थापना, सभी डॉक्टर्स का एक समान प्रमोशन व समान तनख्वाह होनी चाहिए। कोरोना के मद्देनजर रेजिडेंट्स के लिए अलग से इंसेंटिव की घोषणा होनी चाहिए।
डॉ. राजेन्द्र फगेडिया, अध्यक्ष, आरडीए
डॉ. राजेन्द्र फगेडिया, अध्यक्ष, आरडीए
भरे जाएं नर्सेज के रिक्त पद राज्य के नर्सेज को केंद्र के समान वेतन व भत्ते नहीं मिल रहे। नर्सेज का पदनाम केंद्र अनुसार नर्सिंंग अधिकारी किया जाए। पदोन्नतियां पिछले कई वर्षों से अटकी पड़ी है। चिकित्सा सुविधा का ढांचा मजबूत करने के लिए नर्सेज के खाली पद भरे जाए।
– पीयूष ज्ञानी, अध्यक्ष, राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन
—– 1 हजार जनसंख्या पर 1 चिकित्सक हो नियुक्त
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1 हजार की आबादी पर 1 चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन भारत में 7 हजार आबादी पर एक चिकित्सक है। चिकित्सालय व चिकित्सकों की संख्या बढऩी चाहिए। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा व जांच सराहनीय योजना है, इसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1 हजार की आबादी पर 1 चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन भारत में 7 हजार आबादी पर एक चिकित्सक है। चिकित्सालय व चिकित्सकों की संख्या बढऩी चाहिए। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा व जांच सराहनीय योजना है, इसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।
– डॉ. रामकिशोर विश्नोई, महासचिव, अरिसदा ———- बढ़े आधारभूत सुविधाएं
राज्य व केंद्र सरकार अपने बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सालयों का विस्तार कर आधारभूत सुविधा बढ़ाए। चिकित्साकर्मियों की जरूरत अनुसार आवास तैयार करे। साथ ही अनुसंधान के लिए केंद्र खोले जाए। आवंटन बजट को दस फीसदी तक ले जाने का प्रयास होना चाहिए।
राज्य व केंद्र सरकार अपने बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सालयों का विस्तार कर आधारभूत सुविधा बढ़ाए। चिकित्साकर्मियों की जरूरत अनुसार आवास तैयार करे। साथ ही अनुसंधान के लिए केंद्र खोले जाए। आवंटन बजट को दस फीसदी तक ले जाने का प्रयास होना चाहिए।
– डॉ. सीके लोहरा, केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य आइएमए —— मेडिकल शिक्षा का स्तर सुधारने की जरूरत स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक बजट की जरूरत है। कॉलेज में सीटें बढ़ाने पर फोक्स चल रहा है, लेकिन पढ़ाई का स्तर सुधारना चाहिए। नियमित एग्जाम, टेस्ट व ट्यूटोरियल आदि होने चाहिए। साथ ही मेडिकल कॉलेज खोलकर इतिश्री न करे, उसकी गुणवत्ता भी सुधारे। इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाया जाना चाहिए।
– विनोद शर्मा, छात्रसंघ अध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
– विनोद शर्मा, छात्रसंघ अध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
—— भविष्य के लिए बेहतर प्लानिंग रखें
वर्तमान में कोविड इंफास्ट्रक्चर की कमी नजर आई। इसके लिए काम होना चाहिए। ऑक्सीजन प्लांट के लिए हमें लास्ट तक दौडऩा पड़ा, हालांकि राज्य सरकार का बेहतर मैनेजमेंट रहा। जबकि छोटे से छोटे सेंटर पर सुविधा होनी चाहिए। इन सभी पर काम करेंगे तो भविष्य में अन्य महामारी से आसानी से निबट सकेंगे।
वर्तमान में कोविड इंफास्ट्रक्चर की कमी नजर आई। इसके लिए काम होना चाहिए। ऑक्सीजन प्लांट के लिए हमें लास्ट तक दौडऩा पड़ा, हालांकि राज्य सरकार का बेहतर मैनेजमेंट रहा। जबकि छोटे से छोटे सेंटर पर सुविधा होनी चाहिए। इन सभी पर काम करेंगे तो भविष्य में अन्य महामारी से आसानी से निबट सकेंगे।
– डॉ. दिनेश कुमार सोनी, लीगल एडवाइजर, अरिसदा ——— ग्रामीण चिकित्सालय विकसित हो
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल सुविधा व संसाधन से कमजोर है। इस कारण शहरों में मरीज भार बढ़ रहा है। बजट में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सालय विकास को लेकर कार्य होना चाहिए। साथ चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों के आवास को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में इंतजाम होने चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल सुविधा व संसाधन से कमजोर है। इस कारण शहरों में मरीज भार बढ़ रहा है। बजट में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सालय विकास को लेकर कार्य होना चाहिए। साथ चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों के आवास को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में इंतजाम होने चाहिए।
– डॉ. मोहनदान देथा, लूणी बीसीएमओ —-
रिचर्स को मिले बढ़ावा रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। क्योंकि भविष्य में आने वाली आपदाओं के निबटने के लिए रिसर्च जरूरी है, ताकि हम बीमारियों के इलाज में आत्मनिर्भर बन सके। दूसरा बजट में बचाव ही उपचार है, इस पर जोर देकर रहन-सहन पर फोक्स किया जा सकता है।
रिचर्स को मिले बढ़ावा रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। क्योंकि भविष्य में आने वाली आपदाओं के निबटने के लिए रिसर्च जरूरी है, ताकि हम बीमारियों के इलाज में आत्मनिर्भर बन सके। दूसरा बजट में बचाव ही उपचार है, इस पर जोर देकर रहन-सहन पर फोक्स किया जा सकता है।
– डॉ. दिनेश दत्त शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जरी विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज