उपचार की बजाए मिल रहा रैफर कार्ड गौरतलब है कि कोविड महामारी के बाद से पश्चिमी राजस्थान के फलोदी में हार्ट अटैक से मौतों का सिलसिला बढ़ रहा है, बावजूद इसके स्थानीय अस्पतालों में उपचार व्यवस्था के बजाए रैफर कार्ड थमा कर औपचारिता पूरी की जा रही है। जिससे जोधपुर पहुंचने से पहले ही पीडि़त जोधपुर के मुहाने पहुंचते-पहुंचते दम तोड देते है। जानकारों की माने तो फलोदी अस्पताल से रैफर कार्ड पकडाने के बाद फलोदी से जोधपुर पहुंचने में तीन घंटे लगते है, ऐसे में हार्ट अटैक आए व्यक्ति का जीवन बचाना मुश्किल होता है।
युवा हो रहे हार्ट अटैक का शिकार कोविड के बाद से देशभर में हार्ट अटैक के मामले बढे है। ऐसे में 50 किलोमीटर की परीधि में एक कॉर्डियोलाजिस्ट होना चाहिए, ताकि फलोदी व क्षेत्र के अंतिम छोर के गांवों तक के ग्रामीणों का जीवन सुगमता से बचाया जा सके। फलोदी में इन दिनों हार्ट अटैक के मामले बढे है। जिम्मेदारों को क्षेत्र की जनता का जीवन बचाने के लिए बेहतर व्यवस्थाएं देनी चाहिए।
– डॉ. अरूण माथुर, रिटायर्ड चिकित्सक उपचार की बजाए हुई बदसलूकी दस दिन पहले मेरी छाती में दर्द हुआ। मेरा दस वर्षीय लडका मुझे फलोदी अस्पताल लेकर गया और आपातकालीन वार्ड में सहायक चिकित्सक ने मेरी बीपी मापी, तब मेरी बीपी 112 से 162 थी, लेकिन उपचार की बजाए उससे बदसलूकी की। जिसके बाद दोस्तों ने दूसरे चिकित्सक को बुलाया, जिसके बाद ईसीजी की गई। हार्ट में दिक्कत होने से जोधपुर रैफर कर दिया, दोस्तों ने जैसे तैसे जोधपुर पहुंचाया, जहां हार्ट में ब्लॉकेज होने से स्टैण्ड लगाया। कुछ देर ओर होती तो मुश्किल हो जाती।
– नितिन थानवी, हार्ट अटैक का पीडित रोगी उपचार मिलता तो बच जाता जीवन मेरी सास का स्वस्थ ठीक था, गत 12 जून को शाम को अचानक सांस की तकलीफ हो गई, अस्पताल लेकर गए, जहां ऑक्सीजन सात आ रही थी, चिकित्सकों ने जोधपुर रैफर कर दिया। एम्बुलेंस से जोधपुर भी पहुंच गए, लेकिन अस्पताल के मुहाने पहुंचते ही सास ने दम तोड दिया। अगर विशेषज्ञ चिकित्सक होता तो शायद जीवन बचाने की उम्मीद थी।
– अरूणा पुरोहित, गृहिणी
… तो बच सकता था सौ से अधिक का जीवन कोविड महामारी के बाद हार्ट अटैक की बीमारी में इजाफा हुआ है। फलोदी में अगर हार्ट अटैक की बीमारी का उपचार मिलता अनेक व्यक्तियों की असमय मौत को टाला जा सकता था। गत माह उसका दोस्त कुन्जबिहारी बोहरा ने दम तोड दिया। अगर विशेषज्ञ चिकित्सक होते तो वह हमारे बीच रहता। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और फलोदी में विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त करने चाहिए।
– देवेन्द्र थानवी, दवाई विक्रेता फैक्ट फाइल – 135 किलोमीटर दूर है फलोदी से जोधपुर जिला मुख्यालय। – 75 साल की आजादी के बाद भी आपातकालीन सुविधा को मोहताज। – 100 से अधिक हार्ट अटैक से थमी सांसें, परिवार पर टूटा दुःखों का पहाड ।
– 5 हजार से अधिक हर माह उपचार के लिए जोधपुर जाने को मजबूर। – 50 लाख से अधिक की मशीनरी दी भामाशाहों ने नहीं आ रही काम। – 1 हजार से अधिक रोगी रोज उपचार के लिए आ रहे सरकारी अस्पताल।
– 5 हजार से अधिक रोगी निजी अस्पतालों में लगा रहे चक्कर। – 12 से अधिक निजी अस्पताल, किसी में नहीं कॉर्डियोलोजिस्ट चिकित्सक।