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यहां तो हॉस्पिटल खुद ही डेंगू-चिकनगुनिया व मलेरिया के पनाहगाह

locationजोधपुरPublished: Aug 19, 2019 06:55:15 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

एमजीएच की सुरंग पानी से भरी पड़ी , एमजीएच की सुरंग मच्छरों का अड्डा

Here the hospital itself is home to dengue, chikungunya and malaria

यहां तो हॉस्पिटल खुद ही डेंगू-चिकनगुनिया व मलेरिया के पनाहगाह

रियल रिपोर्ट

जोधपुर. बारिश की सीजन के बाद शहर में डेंगू,चिकनगुनिया और मलेरिया फैलने का खतरा बढ़ जाता है। शहर में जगह-जगह हो रखे गड्ढ़े, खराब टायर व क्षतिग्रस्त सामग्रियों में पानी भरा पड़ा है। इन पानी में डेंगू-चिकनगुनिया व मलेरिया के लार्वा पनपते हैं। संक्रमणित मच्छर एक-दूसरे को काट आगे से आगे बीमारियों का प्रसार करते हैं। वहीं शहर के महात्मा गांधी अस्पताल, एमडीएम व उम्मेद अस्पताल भी मच्छरों के पनाहगाह बने बैठे हंै। इन जगहों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी किसी तरह से टेमिफोस का छिडक़ाव नहीं कराया जा रहा है। जबकि इन अस्पतालों में कई बार भर्ती मरीजों को डेंगू-चिकनगुनिया हो चुका है। उसके बावजूद जिम्मेदारों की अनदेखी मरीजों व परिजनों पर भारी पड़ सकती है।
एमजीएच की सुरंग मच्छरों का अड्डा
महात्मा गांधी अस्पताल की ऐतिहासिक सुरंग मच्छरों का अड्डा बनी हुई है। इस सुरंग में पूरे साल पानी व कचरा रहता है। लेकिन बारिश के बाद सुरंग में और पानी भर गया है। इस सुरंग में राजस्थान पत्रिका टीम ने सोमवार को अंदर घुस पड़ताल की तो अंदर मच्छरों का अड्डा नजर आया। जगह-जगह कबाड़ का सामान नजर आया। मच्छरों के लार्वा व मकडिय़ों का जाल फैला हुआ था। कई बार अस्पताल प्रशासन व नगर निगम की ओर से सुरंग को साफ कराने के दावे किए गए, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। बताया जाता हैं कि किसी जमाने में सुरंग में ईएनटी जैसे विभाग चलते थे।
उम्मेद व एमडीएमएच के गड्ड़ों से भरा रहता है पानी

उम्मेद अस्पताल में पीछे प्रशासनिक भवन के आगे क्वार्टर के रास्ते गड्ढ़ों में पानी भरा है। इसी तरह एमडीएम अस्पताल परिसर के रास्ते में भी गड्ढों में पानी भरा पड़ा है। इन अस्पतालों में पहले भी भर्ती मरीजों को डेंगू-चिकनगुनिया हुआ था। उसके बावजूद अस्पताल प्रशासन की ओर से किसी तरह की सुध नहीं ली जा रही है। जबकि अस्पताल में ऐसे कई प्वाइंट हैं, जहां अक्सर पानी भरा रहता है।
इनका कहना
इस संबंध में अधीक्षकों को कह दिया गया है। टेमिफोस का छिडक़ाव कराएंगे।

– डॉ. एसएस राठौड़, प्रिंसिपल, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज

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