न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान विवाहित महिला को पेश किया गया। हालांकि, मामले में सुनवाई की तिथि 6 जुलाई थी, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने विवाहिता का पता लगने पर मामले को जल्द सूचीबद्ध करने की अनुमति मांगी। सुनवाई के दौरान बताया गया कि विवाहित महिला बालिग है। पूछने पर उसने बताया कि उसका पति ससुराल में उसे प्रताड़ित और अपमानित करता था।
ऑनलाइन वीडियो गेम खेलने के दौरान वह उत्तराखंड निवासी एक युवक के संपर्क में आई। उसने युवक से संपर्क किया और कहा कि वह उसके साथ रहने के लिए आ रही है। इसके बाद वह स्वेच्छा से अपना ससुराल छोड़कर उत्तराखंड चली गई। ससुराल से जाते समय वह 35 हजार रुपए ले गई, जो रास्ते में खो गए। युवक उसे रुड़की बस स्टैंड पर मिला और उसे अपने घर ले गया। करीब डेढ़ महीने तक वह उनके साथ रही। इस बीच, कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर होने पर उसकी तलाश कर उसे थाने लाया गया।
पूछताछ में विवाहिता ने कोर्ट में मौजूद अपने भाई के साथ जाने की इच्छा जताई। उसने कोर्ट से आग्रह किया कि युवक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए, क्योंकि वह स्वेच्छा से उत्तराखंड गई थी और अपनी इच्छा से उसके साथ रही थी। कोर्ट ने युवक को तुरंत रिहा करने की सलाह दी और विवाहिता को भाई के घर भेजने को कहा।