उम्मेद चौक निवासी हिमांशु को उनके दादा साहित्यविद् पुखराज शर्मा ने साहित्य पढऩे के लिए प्रेरित किया। लिट्रेचर पढऩे पर लगा शहर के युवाओं में पढऩे की रुचि कम है। वहीं कई ऐसे भी युवा हैं जो जानना जरूर चाहते हैं लेकिन पढऩे के लिए समय नहीं निकाल पा रहे या विषय की अधिक समझ और जानकारी में पीछे रह जाते हैं। ऐसे में हिमांशु एक कॉफी कप के बदले उनके रुचि अनुसार विभिन्न साहित्यकारों की रचनाओं को सुनाते हैं। यह कॉन्सेप्ट अब लोगों के बीच पॉपुलर होने लगा है। हिमांशु ने बताया कि अब उनके पास आइआइटी आदि संस्थानों से भी इसके लिए बुलावा आता है और वे वहां युवाओं को साहित्य के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
संगीत से हुई शुरुआत हिमांशु ने बताया कि उन्हें बचपन से ही संगीत का शौक रहा है। मुकेश पुरोहित (पी भासा) से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। गुरु ने म्यूजिक कॉम्पोजिशन में हाथ आजमाने के लिए कहा। संगीत रचने के लिए गुरु ने साहित्य को पढऩे और समझने के लिए प्रेरित किया। यहां से साहित्य में अधिक रुचि उत्पन्न हुई। अपनी लगन के चलते मात्र 17 वर्ष की आयु में जोधपुर आइडल गीत-संगीत प्रतियोगिता करवाई। जिसका 7वां सीजन गत माह सम्पन्न हुआ है। संगीत को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष लालटेन कार्यक्रम का आयोजन करवाया जा रहा है। इसमें शहर के युवा संगीतकार और बैंड्स आकर प्रस्तुतियां दे रहे हैं। साथ ही संगीत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए म्यूजिक स्कूल का संचालन कर रहे हैं।
कैफियत में बसता है साहित्य संसार शर्मा का कहना है कि शहर में ओपन माइक कल्चर खासा लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन ओपन माइक शैली से इतर कैफियत युवाओं को साहित्य से जोडऩे के लिए प्रयासरत है। इसमें स्थापित शायरों और अदीबों को सुनने का मौका दिया जा रहा है। देशभर के प्रख्यात युवा शायर अपने कलाम पढ़ रहे हैं। इसका कॉन्सेप्ट शायर और श्रोताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करना है। इसमें उनके साथ युवाओं की टीम काम कर रही है। वह शिक्षाविद् भूपेंद्रसिंह राठौड़ को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।