माध्यमिक शिक्षा सेटअप के आंकड़ों पर नजर डालें तो शिक्षा विभाग में कुल 25 हजार 8 सौ 32 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद शिक्षा विभाग में स्वीकृत हैं। इनमें से 10009 पद भरे हैं। इनमें कई उम्रदराज हैं, जो भी कुछ सालों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। दूसरी ओर से 15 हजार 8 सौ 23 पद शिक्षा विभाग में खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने की बजाय शिक्षा विभाग ने सारा भार मौन निर्देशों के तहत शिक्षकों व विद्यार्थियों पर उड़ेल दिया है।
1997 के बाद कोई भर्ती नहीं शिक्षा विभाग ने करीब 33 साल पहले साल 1987 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ठेके पर लिया था। उसके बाद साल 1997 में उन्हें स्थाई कर दिया। अब तक शिक्षा विभाग ने एक भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने विभाग के बेड़े में नहीं लिया है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के कार्य करने के कारण ज्यादातर सक्षम लोगों ने ऐसी स्कूलों से अपनी दूरी बना ली है। इधर, शिक्षक और कर्मचारियों में रोषराजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ की महिला विंग की महिला संयोजक बेबी नंदा ने कहा है कि ग्रामीण ब्लॉक में दूध गर्म करने के लिए सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता। 13 सौ रुपए में कुक कम हैल्पर ही मिड डे मील पकाने व दूध गर्म करने का कार्य कर रही हैं। ऐसे में गरीब लोगों का शोषण हो रहा है। शहर में भोजन सेंट्रल किचन से आ जाता है, दूध के लिए पांच सौ रुपए में कोई बाई नहीं मिल पाती। ऐसे में बर्तन धोने का कार्य बच्चों पर हंै। दूध गर्म करने की जिम्मेदारी शिक्षक साथियों के भरोसे आ गई हंै। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष पूनमचंद व्यास ने बताया कि दो दशक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं करके सरकार एक तरह से अन्य कर्मचारियों का शोषण कर रही है। स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग के कार्यालय तक में आसानी से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मुहैया नहीं हो पा रहे हैं। इनका कहनाअनुकंपा नियुक्तियों के जरिए जरूर पद भरे जा रहे हंै, नए पद नहीं भरे गए हैं। विभिन्न माध्यम से उच्चाधिकारियों तक जानकारी भी पहुंचाते हैं।
1997 के बाद कोई भर्ती नहीं शिक्षा विभाग ने करीब 33 साल पहले साल 1987 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ठेके पर लिया था। उसके बाद साल 1997 में उन्हें स्थाई कर दिया। अब तक शिक्षा विभाग ने एक भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने विभाग के बेड़े में नहीं लिया है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के कार्य करने के कारण ज्यादातर सक्षम लोगों ने ऐसी स्कूलों से अपनी दूरी बना ली है। इधर, शिक्षक और कर्मचारियों में रोषराजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ की महिला विंग की महिला संयोजक बेबी नंदा ने कहा है कि ग्रामीण ब्लॉक में दूध गर्म करने के लिए सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता। 13 सौ रुपए में कुक कम हैल्पर ही मिड डे मील पकाने व दूध गर्म करने का कार्य कर रही हैं। ऐसे में गरीब लोगों का शोषण हो रहा है। शहर में भोजन सेंट्रल किचन से आ जाता है, दूध के लिए पांच सौ रुपए में कोई बाई नहीं मिल पाती। ऐसे में बर्तन धोने का कार्य बच्चों पर हंै। दूध गर्म करने की जिम्मेदारी शिक्षक साथियों के भरोसे आ गई हंै। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष पूनमचंद व्यास ने बताया कि दो दशक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं करके सरकार एक तरह से अन्य कर्मचारियों का शोषण कर रही है। स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग के कार्यालय तक में आसानी से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मुहैया नहीं हो पा रहे हैं। इनका कहनाअनुकंपा नियुक्तियों के जरिए जरूर पद भरे जा रहे हंै, नए पद नहीं भरे गए हैं। विभिन्न माध्यम से उच्चाधिकारियों तक जानकारी भी पहुंचाते हैं।
– प्रेमचंद सांखला, डीईओ माध्यमिक (मुख्यालय)