सूर्यनगरी में सूरजमुखी की खेती कर किया नवाचार
मारवाड़ में खिलखिला रहे सूरजमुखी के फूल

जयकुमार भाटी/जोधपुर. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान असफलता का रोना रोने की बजाय आपदा को अवसर बना खुद के लिए नई मंजिल तलाश करने वालों ने मुकाम भी हासिल किया हैं। सूर्यनगरी में लॉकडाउन के समय पेशे से फार्मासिस्ट मदन सिंह दीवान ने अपने फार्म हाउस स्थित खेत पर नवाचार करते हुए सूरजमुखी की खेती कर डाली। जिससे उजलिया के हुड्डों की ढाणी स्थित खेत में सूरजमुखी के फूल मारवाड़ में भी खिलखिलाते दिखाई देने लगे। कोरोना काल में घर पर रहने के दौरान दीवान ने कुछ नया करने के जज्बे को दिखाते हुए बालू मिट्टी में सूरजमुखी की खेती करने की ठानी और एक माह में ही खेतों में फूल खिल आए। दीवान ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में सूरजमुखी की इतनी अच्छी वृद्धि को देख कर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में सूरजमुखी इस भू-भाग के लिए एक नई व प्रमुख फसल हो सकती हैं।
पहली बार प्रयोग किया और सफल रहा
दीवान ने बताया कि सूरजमुखी की खेती से करीब एक क्विंटल उत्पादन हुआ। पहली बार प्रयोग किया जो सफल रहा। काजरी विशेषज्ञ से परामर्श लेने पर उन्होंने बताया कि सूरजमुखी भारत में सबसे तेजी से बढ़ती तिलहनी फसलों में से एक है। सूरजमुखी के तेल को अन्य वनस्पति तेल की तुलना में अच्छा माना जाता है। सूरजमुखी की खेती प्रमुख रूप से कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र में की जाती हैं। इसके लिए दोमट, लाल व काली मिट्टी उपयुक्त रहती है। राजस्थान के पश्चिमी भू-भाग में बालू मिट्टी प्रमुख रूप से पाई जाती है। ऐसे में इसकी खेती एक नवाचार की श्रेणी में आती है। इस फसल में जैविक खाद व उर्वरक की संतुलित मात्रा का उपयोग कर किसान आर्थिक रूप से भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
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