आइआइटी-जोधपुर का मैकेनिकल विभाग ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। विभाग ने विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए हेलीकॉप्टर ड्रोन बनाए हैं। अब पूरा फोकस Bird Drone पर है। बर्ड ड्रोन के कुछ उपकरण स्थानीय स्तर पर जुटाए गए हैं जबकि कुछ उपकरण बाहर से मंगवाए गए हैं।
फ्लेपिंग विंग सबसे बड़ी चुनौती बर्ड ड्रोन में फ्लेपिंग विंग सबसे बड़ी चुनौती है। ड्रोन में पक्षी के समान ही एकदम हल्के व खोखले पंख लगाए गए हैं। इनकी फ्लेपिंग स्पीड से ही ड्रोन ऊपर-नीचे उड़ान भरता है। ड्रोन की Main Body में कैमरा सहित अन्य उपकरण लगाए गए हैं। पक्षी के पैर के रूप में स्टैंड है। बर्ड ड्रोन की स्पीड और ऊंचाई तक जाने की उसकी क्षमता को लेकर अनुसंधान किया जा रहा है।
हेलीकाॅप्टर ड्रोन गन से उड़ा दिए जाते हैं वर्तमान में दुनिया भर में हेलीकॉप्टर ड्रोन मौजूद हैं, जो चार किनारों पर लगे चार पंखों की सहायता से उड़ान भरते है। सर्विलांस के दौरान दुश्मन देश की सीमा में घुसने पर हेलीकॉप्टर ड्रोन की आसानी पहचान हो जाती है और ऐसे ड्रोन मार गिरा दिए जाते हैं। बर्ड ड्रोन में ऐसा नहीं होगा। अन्य पक्षियों के समान बर्ड ड्रोन भी सीमा पार कर सकेगा और दुश्मनों के मूवमेंट की खबर देता रहेगा। बर्ड ड्रोन गेमचेेंजर साबित होने के साथ देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
इनका कहना है.... हमने बर्ड ड्रोन बनाया है लेकिन अंतिम रूप से अभी यह तैयार नहीं है। कुछ परीक्षणों के बाद हम इसमें सफल होंगे, तब देश के सामने पेश किया जाएगा। -प्रो. शांतनु चौधरी, निदेशक, आइआइटी-जोधपुर