भारी भरकम खर्च को देखते हुए जेडीए और नगर निगम ने नाला निर्माण से हाथ झटक लिए थे। मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए जेडीए ने नया प्रोजेक्ट बनाया। इसमें नालों को नई राह से निकाला जाएगा। इससे जमीन अधिग्रहण की लागत कम हो गई और दोनों नालों को जोजरी नदी से मिलाने पर 75 से 100 करोड़ खर्च होने का है। अब दोनों नालों का कुल निर्माण भी 15 किलोमीटर ही होगा। विस्तृत डीपीआर में प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसे हाईकोर्ट में भी पेश किया जाएगा।
हवा में ड्रेनेज मास्टर प्लान वर्षा जल सुरक्षित तरीके से जोजरी नदी तक जाने के लिए हाईकोर्ट ने निगम को ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाने के आदेश दिए थे। इस पर निगम ने मार्च 2016 में 50 लाख रुपए में हैदराबाद की कंपनी को ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार करने का ठेका दिया। इसे अक्टूबर 2016 तक पूरा करना था। प्लान बहुत देरी से स्वीकृत हुआ और अब तक धरातल पर नहीं आया है। इस मानसून से पहले मास्टर प्लान लागू होता तो जोजरी नदी तक मुख्य नालों के बहाव मार्ग का मार्ग का निर्धारण, नाला निर्माण, नालों के मिसिंग लिंक का निर्माण, जल भराव के क्षेत्रों की समस्या का निवारण हो सकता था। अब हालत यह है कि 32 स्थानों पर जलभराव से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। पिछले वर्ष नाले में बहने से चार लोगों की मौत भी हो गई थी।
यह है भैरव नाला
– पहले 13 किलोमीटर निर्माण होना था।
– अब 8.5 किलोमीटर लम्बा नाला ही बनेगा।
– पहले 158 बीघा जमीन अधिग्रहण पर 75 करोड़ की आवश्यकता थी।
– अधिकांश जमीन सरकारी होने से अधिग्रहण लागत 50-75 प्रतिशत तक घट सकती है।
– यह नाला कायलाना से शुरू होकर डर्बी कॉलोनी में समाप्त होता है।
माता का थान नाला – पहले करीब 9.5 किलोमीटर नाला बनना था।
– अब 6.5 किलोमीटर लम्बा नाला ही बनेगा।
– पहले 34 बीघा भूमि अधिग्रहण पर 35 करोड़ खर्च होने थे।
– अब यहां भी 25-50 प्रतिशत ही रह जाएगी राशि
– वर्तमान में यह नाला माता का थान मंडोर क्षेत्र से डिगाड़ी तक है।
सरकारी जमीन से गुजरेंगे नाले पहले नालों को जोजरी नदी से मिलाने के जो प्रोजेक्ट बने थे उनमें अधिकांश निजी जमीन शामिल थी। लेकिन अब भैरव नाले को विवेक विहार के अंदर से ले जाया जाएगा। जो कि जेडीए की ही योजना है। वहीं माता का थान नाला निर्माण अब जिस राह से किया जाएगा वहां भी सरकारी जमीन होने से यह राशि भी बच जाएगी।
इनका कहना… दोनों नाले की हम नए सिरे से डीपीआर बना रहे हैं। अब जमीन अधिग्रहण के लिए राशि नगण्य लगेगी। साथ ही कुछ हद तक लम्बाई भी कम करेंगे। अब सरकार से मदद की आवश्कता नहीं रहेगी।
– दुर्गेश बिस्सा, आयुक्त, जोधपुर विकास प्राधिकरण।