एजो डाइ प्रकाश संवेदी होती है। सूर्य के प्रकाश में रखने पर एजो डाइ का विलियन सूर्य के प्रकाश में मौजूद फोटोन को अवशोषित करता है। डाइ के इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा कक्षों से निम्न ऊर्जा कक्षों में वापस लौटने पर ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं, जिसे विद्युत ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। एजो डाइ की दक्षता बढ़ाने के लिए इसके साथ जिंक ऑक्साइड मिलाया गया है। दोनों के मिश्रण से तैयार हाइब्रिड सेल से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने में 50 प्रतिशत सफलता मिली है। जबकि सिलिकॉन की दक्षता केवल 40 प्रतिशत है। नया हाइब्रिड सेल फोटोगैल्वेनिक तकनीक पर और सिलिकॉन सेल फोटोवोल्टेनिक तकनीक पर ऊर्जा बनाता है।
भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। वर्ष 2019 में 7000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाई गई। वर्तमान में कुल विद्युत ऊर्जा का 9.6 प्रतिशत, यानी 35616 मेगावाट ऊर्जा सौर ऊर्जा से प्राप्त की जाती है। इसे 2022 तक बढ़ाकर 100000 मेगावाट किए जाने का लक्ष्य है।
कोयला ——— 53.6
गैस ——— 6.7
परमाणु ऊर्जा ——— 1.8
लिग्नाइट ——— 1.8
डीजल ——— 0.1 प्रतिशत
बड़ी जल विद्युत ——— 12.2
पवन ऊर्जा ——— 10.1
सौर ऊर्जा ——— 9.6
जैव ऊर्जा ——— 2.7
छोटी जल विद्युत——— 1.3
(31 दिसम्बर 2019 तक देश में कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 371000 मेगावाट थी, जिसमें से 133200 मेगावाट यानी 35.9 प्रतिशत ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा थी।)
हमने तकनीक बदलकर सस्ती सौर ऊर्जा प्राप्त करने में सफलता हासिल की है। अब जिंक ऑक्साइड को नैनो कणों में बदलकर इनका सतही क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा ताकि हाईब्रिड सेल की दक्षता बढ़ाई जा सके।
– प्रो. आरसी मीणा, रसायन शास्त्र विभाग, जेएनवीयू, जोधपुर