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होली पर शहर के 96 फीसदी लोग स्वस्थ थे, अब केवल 66 बचे

locationजोधपुरPublished: May 14, 2021 05:55:13 pm

jodhpur covid-19
– एक महीने में 23 प्रतिशत बढ़ा संक्रमण, जनता अस्पताल या घर में लड़ी रही कोरोना से जंग- मार्च के अंत में 100 पॉजिटिव, अब हर रोज 2100, हर रोज औसतन 25 मौतें

होली पर शहर के 96 फीसदी लोग स्वस्थ थे, अब केवल 66 बचे

होली पर शहर के 96 फीसदी लोग स्वस्थ थे, अब केवल 66 बचे

जोधपुर. जनता की भयंकर लापरवाही, अनुशासनहीनता और राज्य सरकार द्वारा देरी से लॉकडाउन की सख्तियां लागू करने से प्रदेश डेढ़ महीने में ही कोरोना का ग्रास बन गया। जोधपुर में मार्च के अंत तक होली के समय शहर के 96 फीसदी लोग स्वस्थ थे लेकिन अब मात्र चालीस दिन बाद केवल 66 प्रतिशत लोग ही स्वस्थ बचे हैं। पिछले दस दिनों से कोरोना की संक्रमण दर 33 से 34 प्रतिशत चल रही है। सोमवार को तो 100 में से 50 व्यक्ति पॉजिटिव मिले। संक्रमण दर 49.64 थी जो अब तक की सर्वाधिक रही।
हर 10 दिन बाद भयावह हो रहा कोरोना
मार्च के अंतिम दिनों में शहर में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई। इसके बाद हर दस दिन में संक्रमण दर तेजी से बढ़ रही है। अप्रेल के प्रथम दस दिन 10 प्रतिशत, अगले दस दिन 25 प्रतिशत और अंतिम दिन दस दिन 31 प्रतिशत संक्रमण दर रही। मई के प्रथम दस दिन में यह 33.38 प्रतिशत पर आ गई है।
दिन ———– संक्रमण दर
1 से 10 अप्रेल —– 9.5
11 से 20 अप्रेल —– 24.9
21 से 30 अप्रेल —– 31
1 से 10 मई —– 33.38

हर रोज 6500 की जांच, 2169 पॉजिटिव
गत दस दिनों से शहर में हर रोज तकरीबन 6500 व्यक्तियों के नमूनों की कोरोना जांच की जा रही है जिसमें 2169 व्यक्ति पॉजिटिव मिल रहे हैं। पिछले दस दिनों से प्रतिदिन 25 व्यक्तियों की कोविड-19 से मौत हो रही है। यह तो सरकारी डाटा है, जबकि गैर सरकारी आंकड़ों में इनकी संख्या दुगुनी से तिगुनी है।
मई के पहले दस दिनों के हालात
दिन —— पॉजिटिव —— मौत —— संक्रमण दर
1 मई —— 1818 —— 34 —— 28.78
2 मई —— 2212 —— 32 —— 32.06
3 मई —— 2130 —— 37 —— 45.17
4 मई —— 1867 —— 28 —— 23.70
5 मई —— 1401 —— 20 —— 18
6 मई —— 2301 —— 27 —— 32.39
7 मई —— 2602 —— 20 —— 39.23
8 मई —— 1852 —— 19 —— 28.82
9 मई —— 2238 —— 15 —— 36
10 मई ——1915 ——20 —— 49.64
………………………….
पत्रिका व्यू: कहीं आपके बच्चे और रिश्तेदारों ने तो अस्पताल नहीं पहुंचाया
कई लोग अनुशासन तोड़ रहे हैं। इसकी कीमत उन्हें जान से चुकानी पड़ रही है। लोग अपने बच्चों को गली-मौहल्ले में खेलने की आजादी दे रहे हैं। पुलिस तो केवल सडक़ों पर है। यही बच्चे आपस में वायरस एक्सचेंज करते हैं और घर में आकर बड़ों को संक्रमित कर देते हैं। कोई अपने बेटे से कोई अपने पोते से संक्रमित होकर अस्पताल जा रहा है। सुबह 6 से 11 बजे की छूट का इस्तेमाल कई नाते-रिश्तेदार एक दूसरे से मिलने के लिए करते हैं। जैसे वे कोरोना प्रुफ है। आप आपके घर का बायो बबल मत तोडि़ए और न ही इसमें किसी को सेंध लगाने दीजिए। जिंदा रहोगे तो लहर खत्म होने के बाद मानसून में मित्रों व रिश्तेदारों से भी मिल सकेंगें।
ऐसे बनाओ बायो बबल
– छोटे बच्चों को बाहर मत निकालो। खेलना है तो छत पर खेलें।
– रोज-रोज सब्जी लेने की कोई जरुरत नहीं है। 5 दिन की सब्जी एक साथ ले सकते हो।
– सब्जी मंडी में अधिकतर लोग बगैर मास्क के अथवा मुंह व नाक के नीचे मास्क लटकाए घूमते हैं। बचना है तो डबल मास्क लगाकर मंडी में जाओ या जाओ ही मत।
– घर में किसी रिश्तेदार-मित्र को मत आने दो। काम है तो बाहर से निपटा दो।
– 15 दिन का किराणा एक साथ ले आओ।
– काम पर जाने वाले लोग प्रतिदिन नई ड्रेस पहनें। दफ्तर से घर आते ही पोर्च में ही उलटे करके कपड़ें खोल देंवे जैसा कि हम किसी के दाह संस्कार में जाकर आने के बाद करते हैं।
– घर के मुख्य द्वारा को हर रोज सेनेटाइज करें।
नाक के नीचे मास्क है तो कोई मतलब नहीं
कई लोग मास्क को फैशन की तरह पहन रहे हैं। बार-बार नाक से नीचे उतर जाता है। एक बार नाक से मास्क नीचे उतरते ही सुरक्षा टूट जाती है। ऐसे लोगों से बात करना बंद कर दीजिए जिनकी नाक मास्क से ढकी हुई नहीं है।
जनता खुद जनता की दुश्मन
सरकार चिल्ला-चिल्लाकर मास्क लगाने का कह रही है लेकिन लोग है की मानते ही नहीं। जनता खुद जनता की दुश्मन बन बैठी है। हम सभी का कत्र्तव्य है जो मास्क नहीं लगा रहा है उनको मिलकर टोको। बच्चों व युवाओं को घरों में काबू में रखें।
डॉ एसएन मथुरिया, न्यूरोसर्जन, मेडिपल्स हॉस्पीटल
हम तो जान बचाने की कोशिश कर सकते हैं
जब तक मास्क और सोशियल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना नहीं होगी, कोरोना नहीं रुकेगा। हम तो अस्पताल में जान बचाने की कोशिश कर सकते हैं।
डॉ नवीन किशोरिया, वरिष्ठ फिजिशियन, एमडीएम अस्पताल
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