केस एक – 400 रुपए रोज कमाता हूं कहां से लाकर दे ब’चों को स्मार्टफोन
मंडोर क्षेत्र में रहने वाले पुखराज ओड ने बताया कि वे माइंस में मजदूरी का काम करते है। एक दिन के 400 रुपए कमा लेते है। लॉकडाउन में घर बैठे रहे ऐसे आर्थिक हालत खराब हो गई। बेटी गूंजन 6वीं में पढ़ती है तथा बेटा लक्षित द्वितीय कक्षा में पढ़ता है। स्कूल वालों के फोन आते है कि ब’चों को स्मार्टफोन दो जिससे उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा सके। लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि करीब 20 हजार रुपए खर्च कर दोनों ब’चों को पढऩे के लिए स्मार्टफोन खरीद कर दूं और फिर स्कूल की फीस भी दंू। भगवान से दुआ करता हूं कि स्थिति जल्द सामान्य हो तथा स्कूलें खुले।
केस दो – हम दोनों मजदूरी करते है तब जाकर घर खर्च निकलता हैं, स्मार्टफोन कैसे खरीदे
ंमंडोर क्षेत्र निवासी पार्वती देवी ने बताया कि तीन ब’चे हैं नवनीका, तन्वी व कार्तिक। जो सातवीं, छठी व तीसरी में पढ़ते है। पति जयसिंह कमठा मजदूरी करते है और वह भी खाना बनाने का काम करती है। तब घर खर्च चलता है। आर्थिक रूप से इतने समक्ष नहीं है कि तीनों ब’चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तीन स्मार्टफोन खरीद कर दे तथा फिर उनमें रिचार्ज भी करवाएं। इसके साथ भी यह भी डर रहता है कि ब’चे मोबाइल में गेम आदि खेलना सीख जाएंगे।
केस तीन – मेरे बस की तो नहीं स्मार्टफोन खरीद कर देना
अजयसिंह ने बताया कि वह कमठा मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चलाते हैं। लॉकउाउन के दौरान मजदूरी नहीं मिलने से कर्जा तक लेना पड़ा। मजदूरी कर माह में 10 से 12 हजार कमा लेते हैं। दो ब’चे है साहिल व तरूण वे अभी छोटे भी है। जो ढंग से स्मार्टफोन चला भी नहीं सकेंगे। आर्थिक हालत भी ऐसी नहीं है कि ब’चों को स्मार्टफोन खरीद कर दे सके जिससे की वे ऑनलाइन पढ़ाई कर सके।