युवा उद्यमी देवराज सोलंकी ने बताया कि गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली व मप्र से मिट्टी का इंतजाम करते हैं। राजस्थान के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र से लाई गई काली मिट्टी बर्तनों को आकार देने में काम आती है। लाल मिट्टी से मजबूती मिलती है। बीकानेर की भूरी मिट्टी से चमक आती है। नदियों के किनारे की पीली मिट्टी भी मजबूती में इस्तेमाल होती है।
मिट्टी के बर्तन में तैयार भोजन में 80 फीसदी पोषक तत्व
मिट्टी से प्रेशर कुकर, डिनर सेट, हॉट डोंगा, बोतल, केसरोल, दाल हांडी, वाइन कप, चाय की केतली से लेकर चम्मच, कटोरी, जग, कप-प्याली, थाली, गिलास सहित बर्तनों की पूरी शृंखला तैयार की जा रही है। इन बर्तनों की खूबी यह है कि इनमें खाना बनाने पर पकाए जा रहे भोज्य पदार्थ में मौजूद पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। धातु के बर्तनों की अपेक्षा मिट्टी के बर्तन में तैयार हुए भोजन में 80 फ ीसदी तक पोषक तत्व रहते है क्योंकि ताप का प्रभाव उन पर सीधे नहीं पड़ता।
80 से 900 रुपए की रेंज में बिक रहे
धातुओं से बने बर्तनों से मिट्टी के बने बर्तन थोड़े महंगे है, लेकिन सेहत के प्रति सजग रहने वाले लोग इन्हें खरीदने से परहेज नहीं कर रहे हैं। मिट्टी से बने ये उत्पाद 80 से 900 रुपए की रेंज तक बिक रहे है। यह सभी उत्पाद ऑनलाइन पोर्टल्स पर बिक रहे है । कई ऑनलाइन पोर्टल्स इन बर्तनों को बेचकर मुनाफ ा कमा रहे है ।