12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान गैग लॉ केस- स्थगन से पहले सरकारी वकील से पूछा अध्यादेश वापिस ले रहे हो या आदेश दिया जाए: हाईकोर्ट

आप जो कर रहे हो वह लोकतंत्र को तोडऩे वाला कदम है-हाईकोर्ट  

2 min read
Google source verification
Rajasthan Govt Gag Order

Rajasthan Govt Gag Order

राजस्थान हाईकोर्ट में सीआरपीसी में संशोधन बाबत पेश किए गए आध्यादेश को चुनौती देने वाले मामले में विधिवत सुनवाई तो नहीं हो सकी, लेकिन एएजी राजेश पंवार की ओर से नोटिस का जवाब देने के लिए स्थगन देने के लिए किए गए मेंशन का जवाब देते हुए जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने सरकार की अच्छी खासी खिंचाई की। मामले की अगली सुनवाई के लिए हालांकि 17 नवंबर की तिथि तय की गई। लेकिन इतने में जस्टिस माथुर ने तल्ख टिप्पणी कर डाली। खंडपीठ ने एएजी से पूछा, क्या आप आध्यादेश विड कर रहे हैं, इस पर एएजी ने कहा सर आध्यादेश वैसे ही 40 दिन का था। कुछ दिन ही शेष रहे हैं। अपने आप समाप्त हो जाएगा। इस पर खंडपीठ ने कहा तो फिर अंडर टेकिंग दे रहे हो, इस के तहत किसी तरह का एक्शन नहीं लोगे। इस पर एएजी ने कहा कि नोटिस का जवाब तैयार किया जा रहा है, इसमें समय लगेगा। तो खंडपीठ ने फिर कहा, हां यह देखना है कि क्या जवाब देते हो। आप जो यह कर रहे है वह लोकतंत्र को खतम करने वाला है और हम ऐसा होने नहीं देंगे। इस पर एएजी ने फिर कहा सर जयपुर में 27 तक जवाब मांगा गया है। आप हमें 5 दिसंबर तक का समय दे दी जिए। इस पर एक बारगी तो खंडपीठ ने कल ही सुनवाई करने को कहा। फिर एएजी के आग्रह पर 17 नवंबर की तिथि तय की।

राजस्थान सरकार जब भ्रष्ट लोक सेवकों को बचाने और जनता की आवाज को दबाने वाले काले कानून पर मुहर लगाने जा रही थी तभी राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने अपने अग्रलेख में जनता उखाड़ फैंकेगी में इस कानून के पीछे छिपे सच को जनता के सामने उजागर कर दिया... इस काले सच की उजली तसवीर जब लोगों के बीच चर्चाएं आम हुई तब विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठन भी एक्शन में आए ... इसके बाद पूरा मामला सरकार ने प्रवर समिति के पाले में डाल दिया. पर हकीकत कुछ और भी है ।

सरकार के इस कदम के पीछे छिपे मकसद को आज राजस्थान पत्रिका समाचार समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने अपनेे अग्रलेख जब तक काला तब तक ताला के जरिए जनता के बीच रखा