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रात में पढऩा हो तो दीए या मोबाइल का सहारा, पानी लेने भी जाना पड़ता है घर से दूर

locationजोधपुरPublished: Aug 12, 2020 06:37:34 pm

Submitted by:

Om Prakash Tailor

डर्बी कॉलोनी में रहने वाले करीब 350 परिवारों को करना पड़ रहा कई तरह की समस्याओं का सामनालाइट, पानी की व्यवस्था नहीं, शौच भी जाना पड़ता हैं खुले में

रात में पढऩा हो तो दीए या मोबाइल का सहारा, पानी लेने भी जाना पड़ता है घर से दूर

रात में पढऩा हो तो दीए या मोबाइल का सहारा, पानी लेने भी जाना पड़ता है घर से दूर

ओम टेलर.जोधपुर
शहर के बासनी क्षेत्र में बनी डर्बी कॉलोनी में रहने वालों को सालों बाद भी लाइट-पानी जैसे समस्याओं से परेशान होना पड़ रहा है। आलम यह है कि घर से एक-दो किलोमीटर दूर से पानी लाने को क्षेत्रवासी मजबुर हैं। तो शौचालय नहीं होने से खुले में शौच जाते है। घर में विद्युत कनेक्शन नहीं होने के चलते बच्चों को शाम ढलने के बाद पढऩा हो तो दीपक, मोबाइल की रोशनी का सहारा लेना पड़ता है। इन समस्याओं के साथ इस कॉलोनी के लोग पिछले कई वर्षों से जी रहे हैं लेकिन इनकी समस्याओं को लेकर न स्थानीय प्रशासन जागरूक हैं न जनप्रतिनिधि। शहर के बासनी क्षेत्र में श्रमिकों के लिए डर्बी कॉलोनी में नाले के निकट 550 कमरों का निर्माण सालों पहले करवाया गया था। यहां यूपी, बिहार सहित प्रदेश के कई जिलों से आए करीब 300 से अधिक श्रमिक रहते है। जिनमें से अधिकतर श्रमिक परिवार के साथ रहते है। जो क्षेत्र में स्थित हेण्डीक्रॉफ्ट, स्टील आदि इकाईयों में काम कर अपने परिवार का लालन-पालन करते है।

कुछ ने लगाई सौर ऊर्जा लाइट
कुछ लोगों ने अपने घर में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले लाइट लगा रखी है लेकिन उससे भी पंखा, ट्यूब लाइट साथ में नहीं चलते। कई जने तो इस गर्मी में घर के बाहर सोते है जहां मच्छर उन्हें परेशान करते रहते है।

शाम का खाना चिमनी की रोशनी में बनाता हूं
लाइट नहीं है शाम का खाना चिमनी की रोशनी में बनाता हूं। बाहर खाट लगाकर सोता हूं लेकिन मच्छर परेशान करते है इसलिए ऐसे मौसम में भी चद्दर ओढकऱ सोना पड़ता है।

– रमेश चौधरी, डर्बी कॉलोनी, बासनी

खुले में जाते है शौच
कॉलोनी में किसी के यहां शौचालय नहीं बने हुए है। ऐसे में खुले में शौच जाना पड़ता है। क्षेत्र में सावर्जनिक शौचालय का निर्माण करवाया दिया जाए तो राहत मिले। – सविता देवी, डर्बी कॉलोनी, बासनी

बासनी से लाते है पेयजल
करीब 20 साल से यहां रह रहे है। पेयजल कनेक्शन एक भी घर में नहीं है। ऐसे में बासनी क्षेत्र से पेयजल लाना पड़ता है। अधिकतर घरों में बच्चे साइकिल या पैदल जाकर पानी लाते है। क्योंकि कई महिलाएं भी फेक्ट्रियों में काम करती है।
– मीना देवी, डर्बी कॉलोनी, बासनी

दिन में करते है पढ़ाई, रात में दीपक का सहारा
मैं कक्षा 10वीं में पढ़ता हूं। अभी तो कोरोना के कारण स्कूलें बंद है। इसलिए ज्यादा पढ़ाई ज्यादा नहीं करते लेकिन घर में लाइट नहीं होने के कारण रात में मोबाइल या दीपक की रोशनी में पढऩा पड़ता है। अभी भी पढ़ते है तो रात में मोबाइल या दीपक का सहारा लेना पड़ता है।
– कृष्णकांत, डर्बी कॉलोनी, बासनी

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