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जोधपुरवासियों में हर त्योहार पर स्वर्ण खरीदने के प्रति मोह

केवल जोधपुर में सोना तोले के रूप में होता है क्रय-विक्रय

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जोधपुरवासियों में हर त्योहार पर स्वर्ण खरीदने के प्रति मोह

जोधपुरवासियों में हर त्योहार पर स्वर्ण खरीदने के प्रति मोह

जोधपुर. मारवाड़ में स्वर्ण के प्रति मोह मृग मरीचिका नहीं बल्कि यर्थात हैं। मारवाड़ की राजधानी रहे प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में आयोजित सांस्कृतिक पर्व के साथ दीपावली जैसे त्योहार के दौरान शहरवासियों का स्वर्ण के प्रति मोह स्पष्ट नजर भी आता हैं। विवाह आदि समारोह में तो यह प्रतिष्ठा का ***** माना जाता रहा है।

तोले का प्रचलन
पूरे भारत में संभवत समूचे मारवाड़ में ही स्वर्ण को तोले के रूप में खरीदा व बेचा जाता हैं। मारवाड़ में एक तोला सोने का वजन 11.667 ग्राम का होता है जबकि दूसरे जगहों पर 10 ग्राम स्वर्ण को एक तोला मानकर खरीदा व बेचा जाता हैं।

सोने के भाव जरूर पता रखते है...
मारवाड़ के श्रमिक-मध्यम वर्ग से लेकर धनाढ्य वर्ग दूसरी आवश्यक चीजों के भाव के बारे में जानकारी भले ही न रखते हो लेकिन सोने के भाव में उतार चढ़ाव का जरूर ध्यान रखते है।

हर साल गवर मेले में होता है १०० किलो स्वर्णाभूषणों से शृंगार
जोधपुर में प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण तृतीया को धींगा गवर मेले के दौरान मां पार्वती प्रतीक गवर पूजन महोत्सव के दौरान जगह-जगह विराजित करीब २० से अधिक गवर प्रतिमाओं पर १०० किलो से अधिक स्वर्ण आभूषणों का शृंगार किया जाता हैं। इस आयोजन में आधी रात के बाद शहर की महिलाएं गवर के दर्शनार्थ पहुंचती हैं। भीतरी शहर के अकेले सुनारों की घाटी क्षेत्र में विराजित गवर प्रतिमा को रामनवमी, पायल, कंगन, झूमर, हाथ फूल, नेकलेस, बजरकंठी, कंसेरा, बाजुबंद सहित करीब ११ किलो आभूषणों से शृंगार किया जाता हैं। यह आयोजन मारवाड़ की संस्कृति और वैभव का प्रतीक माना जाता है ।