– कई ऐसे विकास कार्य जिन पर काम तक शुरू नहीं हुआ
– 8 माह बाद फिर जोधपुर आ रहे स्वायत्त शासन मंत्री, करेंगे विकास कार्यों की समीक्षा
– प्रशासन शहरों के संग अभियान पर फोकस
जरा इधर भी नजरें इनायत हो ‘सरकार’ …
जोधपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दे रखे हैं। इन प्रोजेक्ट को पाइप लाइन प्रोजेक्ट के तौर पर लिया गया है। लगातार मॉनिटरिंग होती है। लेकिन इसके अलावा भी शहर की प्रमुख समस्याएं और कार्य हैं, जो अटके हुए हैं। इनको सरकार या तो प्राथमिकता नहीं दे रही, या फिर नजरअंदाज किया जा रहा है। आठ माह बाद शहर में विकास कार्यों का फीडबैक लेने के लिए स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल आ रहे हैं। इससे पहले शांति धरीवाल आए तो 4 हजार करोड़ का सपना दिखाया था। वह प्रोजेक्ट जो पाइप लाइन में ही नहीं मल्टीलेवल पार्र्किंग – नई सडक़ पर यह प्रोजेक्ट परकोटा शहर में खरीदारी को आने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन कई बार कागजी कार्रवाई के बाद यह आगे ही नहीं बढ़ता। नगर निगम स्तर पर इसको विकसित करने के प्रयास हुए, लेकिन हमेशा अधूरे ही रहे। अभी लूपिंग सिस्टम में इसे शामिल करने का दावा है, लेकिन निर्माण कौनसी एजेंसी करेगी इस पर संशय है। स्वच्छ शहर – शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण और इसके बाद वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए तो प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन कचरे के स्थाई निस्तारण की सब योजनाएं फेल हैं। इसी कारण शहर की स्वच्छता में रैकिंग भी अच्छी नहीं आ पाती। केरू डम्पिंग यार्ड का किसी प्रकार का विकल्प भी नहीं खोज पाए हैं। वैकल्पिक सडक़ – पर्यटन की दृष्टि से मजबूत करने के लिए कायलना की पेरिफेरी में सडक़ विकास का दावा किया गया है। एक तरफ सडक़ है लेकिन दूसरी तरफ सडक़ फाइलों से बाहर नहीं आ पा रही। वन विभाग की जमीन है, ऐसे में पिछले वन विभाग के प्रोजेक्ट की तरह यह अनुमति भी ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है। घंटाघर विकास – पिछले दौरे पर मंत्री का फोकस था कि पर्यटक यहां अधिक से अधिक रुकें, इसके लिए हेरिटेज पर्यटन बढ़ाएंगे। घंटाघर दुकानों पर रूफ टॉप कैफे व अन्य कार्य प्रस्तावित किए। इनमें से एक भी धरातल पर नहीं आया। दो माह बाद पर्यटन सीजन बढऩे की उम्मीद है। लेकिन तब तक कुछ नहीं हो सकता।
जोजरी रिवर फ्रंट – यह भविष्य का सबसे खूबसूरत प्रोजेक्ट हो सकता है, लेकिन पिछले कई सालों से कागजों में ही चल रहा है। प्रदूषित पानी की समस्या जब तक इस प्रोजेक्ट के रास्ते में आती रहेगी, यहां लगने वाला बजट साकार नहीं हो सकेगा।
रिकॉल 2020 नवम्बर 2020 में मंत्री धारीवाल की विजिट थी। उसमें लूपिंग सिस्टम व वैकल्पिक रास्ते की बात की गई, तब एलिवेटेड रोड को नकार दिया। लेकिन बाद में केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय ने इसकी घोषणा कर दी। कायलाना, मंडोर विकास, मेहरानगढ़ तक वैकल्पिक सडक़, डे्रनेज मजबूत करने के साथ हेरिटेज संरक्षण पर मंथन किया था। इनमें से अधिकांश में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
कार्यवाहक निगम से कैसे चलेगी गाड़ी नगरीय निकायों को लेकर विशेष फोकस अक्टूबर में शुरू होने वाले प्रशासन शहरों के संग अभियान से है। इसके लिए जमीन रूपांतरण, सेक्टर प्लान बेहद जरूरी है। लेकिन काम को गति देने से पहले दोनों निगम के आइएएस आयुक्त ही बदल दिए गए हैं। ऐसे में कार्यवाहक के भरोसे निगम की गाड़ी चल रही है। स्थाई आयुक्त की नियुक्ति तक सरकार नहीं कर पाई है। ऐसे में अब अभियान को किस दिशा में आगे बढ़ाएंगे और कैसे अधिकतम लक्ष्य हासिल करेंगे इस पर संशय बना हुआ है।