जोधपुर के मंडोर में 15 फीट के गणेश जंजीरों से बांध रखे है काला गोरा भैरू
गणपति महोत्सव -2

नंदकिशोर सारस्वत
जोधपुर. मंडोर उद्यान परिसर में गणपति का ऐसा अनूठा मंदिर है जहां मध्य में विराजित प्रथम पूज्य गणेशजी ने दांए-बाएं काला और गोरा भैरुजी को जंजीरों से बांध कर रखा है। मंदिर में काला-गोरा भैरु व गणेशजी तीनों ही मूर्तियां 15 फीट की है जिन्हें एक ही विशाल चट्टान को तराश कर बनाया गया है। मंदिर में दांयी ओर गोरे और बांयी ओर काले भैरुजी तथा मध्य में गणेशजी रिद्धि-सिद्धि सहित विराजित है। भगवान गणेश मंदिर में मूसक पर सवार नहीं बल्कि मूसक को उनके चरणों में दर्शाया गया है। इस अनूठे मंदिर के दर्शनार्थ जोधपुर ही नहीं मारवाड़, गोडवाड और देश के कोने कोने से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है। नवविवाहित जोड़े मंगलमय जीवन का आशीर्वाद लेने पहुंचते है। गणेशजी के गले में शेषनाग भी है। देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले मारवाड़ के प्रवासी लोग विवाह के बाद और बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए मंदिर आते है और ढोल-थाली बजवाकर भी आभार जताते है। महाराजा अजीतसिंह के कार्यकाल 1707 से 1724 के दौरान मंडोर उद्यान में निर्मित देवताओं की साळ से सटे गणेश मंदिर में तीनों देवताओं का नियमित पूजन किया जाता है। प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में देश के कोने-कोने से रामदेवरा दर्शनार्थ आने वाले पैदल श्रद्धालु अपनी रामदेवरा यात्रा सकुशल पूरी करने के बाद आभार जताने भैरु-गणेश दरबार जरूर आते है। लेकिन इस बार कोरोना काल के कारण मंदिर बंद होने से वीरानी छाई हुई है। इतिहासविदों के अनुसार गणेश की मूर्ति को एक हजार साल पूर्व मांडव्यपुर व मारवाड़ की राजधानी रहे मंडोर के समय की माना जाता है। मंदिर में वर्ष में दो बार भाद्रप्रद और पौष मास की अमावस्या को पुष्प उत्सव मनाया जाता है।
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