जोधपुर में 230 मृत और 57 घायल
जोधपुर जिले में 6 नवम्बर से 22 नवम्बर के मध्य हमें जलाशयों के आसपास 230 कुरजां पक्षी मृत अवस्था में और 57 गंभीर घायल अवस्था में मिले जिनमें से उपचार के समय 56 की मौत हो गई। पक्षियों में एवियन इन्फ्लूएंजा डिटेक्ट होने के बाद प्रोटाकॉल के तहत कुरजां का रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है।
रमेश कुमार मालपानी, उपवन संरक्षक जोधपुर
जोधपुर जिले में 6 नवम्बर से 22 नवम्बर के मध्य हमें जलाशयों के आसपास 230 कुरजां पक्षी मृत अवस्था में और 57 गंभीर घायल अवस्था में मिले जिनमें से उपचार के समय 56 की मौत हो गई। पक्षियों में एवियन इन्फ्लूएंजा डिटेक्ट होने के बाद प्रोटाकॉल के तहत कुरजां का रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है।
रमेश कुमार मालपानी, उपवन संरक्षक जोधपुर
प्रभावित हो सकता है कंजर्वेशन प्रोजेक्ट
मेहमां पक्षी कुरजां के लिए एक साल पहले बिलाड़ा के ओलवी में सत्रह सौ बीघा क्षेत्र के तालाब एरिया को रिजर्व क्षेत्र घोषित करने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई थी। तत्कालीन संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा की मौजूदगी मे प्रस्ताव पारित कर सरकार को प्रेषित किया गया था। क्षेत्र की ओलवी पंचायत के अधीन तालाब क्षेत्र में हर वर्ष शीतकाल के दौरान खींचन की ही भांति हजारों की संख्या में मेहमां पक्षी कुरजां का आगमन होता है ।
मेहमां पक्षी कुरजां के लिए एक साल पहले बिलाड़ा के ओलवी में सत्रह सौ बीघा क्षेत्र के तालाब एरिया को रिजर्व क्षेत्र घोषित करने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई थी। तत्कालीन संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा की मौजूदगी मे प्रस्ताव पारित कर सरकार को प्रेषित किया गया था। क्षेत्र की ओलवी पंचायत के अधीन तालाब क्षेत्र में हर वर्ष शीतकाल के दौरान खींचन की ही भांति हजारों की संख्या में मेहमां पक्षी कुरजां का आगमन होता है ।
जोधपुर में कुरजां के पहुंचने का रूट अलग अलग
विशेषज्ञों की मानें तो जोधपुर व पाली जिले में हजारों की संख्या में पहुंचने वाले कुरजां पक्षियों का उड़ान भरने का रूट बिलकुल अलग अलग है। खींचन में पहुंचने वाली कुरजां मंगोलिया से अलग रूट होकर आती है। अन्य कुरजां के समूह उज्बेस्तिान, कजाकिस्तान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान में कुछ दिनों तक पड़ाव डालने के बाद जोधपुर पहुंचते है। ऐसे में उड़ान व पड़ाव के दौरान कोई बीमारी पक्षियों में प्रवेश कर सकती है। हालांकि जोधपुर के मृत पक्षियों की जांच में फिलहाल स्ट्रेन एच 5 एन1 बर्ड फ्लू की ही पुष्टि हो पाई है।
विशेषज्ञों की मानें तो जोधपुर व पाली जिले में हजारों की संख्या में पहुंचने वाले कुरजां पक्षियों का उड़ान भरने का रूट बिलकुल अलग अलग है। खींचन में पहुंचने वाली कुरजां मंगोलिया से अलग रूट होकर आती है। अन्य कुरजां के समूह उज्बेस्तिान, कजाकिस्तान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान में कुछ दिनों तक पड़ाव डालने के बाद जोधपुर पहुंचते है। ऐसे में उड़ान व पड़ाव के दौरान कोई बीमारी पक्षियों में प्रवेश कर सकती है। हालांकि जोधपुर के मृत पक्षियों की जांच में फिलहाल स्ट्रेन एच 5 एन1 बर्ड फ्लू की ही पुष्टि हो पाई है।
जिम्मेदारी पशुपालन विभाग पर
जोधपुर व पाली जिले में प्रवासी पक्षियों में फैल रही बर्ड फ्लू की रोकथाम की जिम्मेदारी वनविभाग ने पशुपालन विभाग पर डाल दी है। हालांकि वनविभाग के कर्मचारी भी मृत पक्षियों के निस्तारण में पशुपालन विभाग की टीम को सहयोग करने का दावा किया जा रहा है।
जोधपुर व पाली जिले में प्रवासी पक्षियों में फैल रही बर्ड फ्लू की रोकथाम की जिम्मेदारी वनविभाग ने पशुपालन विभाग पर डाल दी है। हालांकि वनविभाग के कर्मचारी भी मृत पक्षियों के निस्तारण में पशुपालन विभाग की टीम को सहयोग करने का दावा किया जा रहा है।
वायरस साथ लेकर ही जोधपुर पहुंचे कुरजां के कुछ समूह : मुख्य वन संरक्षक
बर्ड फ्लू का प्रकोप जोधपुर व पाली जिले में ही सर्वाधिक देखने को मिला है। स्थिति अब धीरे धीरे नियत्रंण होने लगी है। सरदार समंद में स्पून बिल, सारस क्रेन, ई ग्रेट्स, कार्मोरेन्ट, फ्लेमिंगों सब सुरक्षित है लेकिन कुरजां में यही बीमारी नजर आ रही है। हमें लगता है कि यह बीमारी केवल कुरजां में ही है जो यह वायरस लेकर पहुंची है। कुरजां में जो वायरस डिटेक्ट हुआ वह पक्षियों में कॉमन है। जोधपुर व पाली में यह वायरस आक्रामक होता तो पूरे संभाग में सभी पक्षियों की मौत हो जाती। कुरजां पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पार कर यहां पहुंचते है। हो सकता है लंबे मार्ग के दौरान पड़ाव स्थलों के जल क्षेत्रों में कुछ गड़बड़ हो, लेकिन पक्षियों का फाइनल डेस्टिनेशन जोधपुर व पाली है। यह भी एक आश्चर्यजनक बात है कि खींंचन में अब तक एक भी कुरजां की मौत नहीं हुई है जबकि जोधपुर के कापरड़ा व आसपास तथा पाली जिले के सरदारसमंद में पक्षियों की मौते हो रही है। पक्षियों में फैल रही बर्ड फ्लू बीमारी को पशुपालन विभाग की टीमें जांच में जुटी है। हम तो केवल उन्हें सहयोग कर रहे है। सरदारमंद व जोधपुर में पशुपालन विभाग के चिकित्सक जुटे हुए है।
-एसआरवी मूर्थि, मुख्य वन संरक्षक जोधपुर संभाग
बर्ड फ्लू का प्रकोप जोधपुर व पाली जिले में ही सर्वाधिक देखने को मिला है। स्थिति अब धीरे धीरे नियत्रंण होने लगी है। सरदार समंद में स्पून बिल, सारस क्रेन, ई ग्रेट्स, कार्मोरेन्ट, फ्लेमिंगों सब सुरक्षित है लेकिन कुरजां में यही बीमारी नजर आ रही है। हमें लगता है कि यह बीमारी केवल कुरजां में ही है जो यह वायरस लेकर पहुंची है। कुरजां में जो वायरस डिटेक्ट हुआ वह पक्षियों में कॉमन है। जोधपुर व पाली में यह वायरस आक्रामक होता तो पूरे संभाग में सभी पक्षियों की मौत हो जाती। कुरजां पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पार कर यहां पहुंचते है। हो सकता है लंबे मार्ग के दौरान पड़ाव स्थलों के जल क्षेत्रों में कुछ गड़बड़ हो, लेकिन पक्षियों का फाइनल डेस्टिनेशन जोधपुर व पाली है। यह भी एक आश्चर्यजनक बात है कि खींंचन में अब तक एक भी कुरजां की मौत नहीं हुई है जबकि जोधपुर के कापरड़ा व आसपास तथा पाली जिले के सरदारसमंद में पक्षियों की मौते हो रही है। पक्षियों में फैल रही बर्ड फ्लू बीमारी को पशुपालन विभाग की टीमें जांच में जुटी है। हम तो केवल उन्हें सहयोग कर रहे है। सरदारमंद व जोधपुर में पशुपालन विभाग के चिकित्सक जुटे हुए है।
-एसआरवी मूर्थि, मुख्य वन संरक्षक जोधपुर संभाग