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वैज्ञानिक दीठ सूं सबळी है राजस्थानी परम्परावां

locationजोधपुरPublished: May 16, 2021 07:28:05 pm

Rajasthani Culture

वैज्ञानिक दीठ सूं सबळी है राजस्थानी परम्परावां

वैज्ञानिक दीठ सूं सबळी है राजस्थानी परम्परावां

जोधपुर. जै जै राजस्थान के फेसबुक पेज पर आखातीज री परम्परावां विषयक आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला में राजस्थानी भाषा साहित्य के ख्यातनाम लोक कलां संस्कृति ममज्र्ञ भंवरलाल सुथार ने कहा कि राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत अपने आप में अद्वितीय और अदभुत है। वर्षों पुरानी राजस्थानी परम्पराएं आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा एक तरफ जहां आखातीज का पौराणिक एवं आध्यात्मिक महत्व है वहीं ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है जो हमें अपनी जड़ो से जोडकऱ रखती है। हमारा प्रदेश कृषि प्रधान रहा है मगर यहां का किसान वर्ग ही नहीं अपितु छत्तीस कौम के लोग इन परम्परा का श्रद्धाभाव से पालन करते हुए अपनी गौरवशाली संस्कृति पर गर्व करते हैं।
कार्यक्रम संयोजक श्रीमती किरण राजपुरोहित ने बताया कि इस अवसर पर राजस्थानी रचनाकार भंवरलाल सुथार द्वारा आखातीज के अवसर पर राजस्थानी खानपान, वेशभूषा, आभूषण, सगुन विचार आदि पर विशेष रूप से चर्चा की गई। प्रकृति पर्व आखातीज पर किसानों के औजारों , खीच- गळबाणी बनाने, हल पूजा करने, सामुहिक रैयाण करने तथा बच्चों द्वारा खेले जाने वाले ढूला – ढूली खेल का चित्रों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी गई ।
कार्यक्रम के अंत में किरण राजपुरोहित ने राजस्थानी गीत बाजरिया थांरो खीचड़ो लागै घणौ सुवाद सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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