कार्यक्रम संयोजक श्रीमती किरण राजपुरोहित ने बताया कि इस अवसर पर राजस्थानी रचनाकार भंवरलाल सुथार द्वारा आखातीज के अवसर पर राजस्थानी खानपान, वेशभूषा, आभूषण, सगुन विचार आदि पर विशेष रूप से चर्चा की गई। प्रकृति पर्व आखातीज पर किसानों के औजारों , खीच- गळबाणी बनाने, हल पूजा करने, सामुहिक रैयाण करने तथा बच्चों द्वारा खेले जाने वाले ढूला – ढूली खेल का चित्रों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी गई ।
कार्यक्रम के अंत में किरण राजपुरोहित ने राजस्थानी गीत बाजरिया थांरो खीचड़ो लागै घणौ सुवाद सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।