भीतरी शहर की तंग गलियों में एक घंटे तक ट्रेफिक बहाल नहीं होता है। दिन में खांडा फलसा, आड़ा बाजार व नाइयों का बड़ जैसे क्षेत्रों में कई बार आधे घंटे से अधिक समय तक ट्रेफिक जाम रहता है। रोजमर्रा में यहां सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या के कारण नगर निगम के बड़े वाहन खड़े रहते हंै। ऐसे में बेहाल ट्रेफिक में कई प्रसूताओं और उनके परिजनों को दो किलोमीटर दूरी पर स्थित उम्मेद अस्पताल पहुंचने में एक घंटे से अधिक समय लग जाता है। कई बार यहां रास्ते में प्रसव हो चुके हैं।
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में गत दो दशक में 1 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यहां ऑपरेशन थिएटर, वार्ड व लेबर रुम भी बना हुआ है। स्टाफ के अभाव में सुविधाएं ताले में बंद हैं। वर्तमान में 2 सीनियर मेडिकल ऑफिसर की पोस्ट स्वीकृत है, लेकिन कार्यरत एक है। 2 मेडिकल ऑफिसर, 3 जूनियर स्पेशलिस्ट, 1 एमओ डेंटल का पद स्वीकृत है। यहां स्पेशलिस्ट में गायनी, सर्जरी व पीडियाट्रिक के पद स्वीकृत हंै, जो सभी रिक्त हैं।
पत्रिका टीम सोमवार सुबह यहां पहुंची। अस्पताल में बेतहाशा गंदगी नजर आई। मालूम करने पर पता चला कि यहां दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। एक दुर्गादास अवकाश पर चल रहा है और दूसरा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रमेशचंद जिला प्रशासन के अधीन पाक नागरिक कार्यालय में लगा हुआ है। शिकायत के बावजूद रमेशचंद की प्रतिनियुक्ति निरस्त नहीं की जा रही है। गंदगी झेलना मरीजों और स्टाफ की मजबूरी बन गई हंै।
यहां के क्षेत्रवासियों और पार्षद सुनील व्यास ने इसी माह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नवचौकिया अस्पताल को सैटेलाइट अस्पताल का दर्जा दिलाने के लिए ज्ञापन दिया था। जिसमें लोगों ने प्रसूताओं के दर्द और बढ़ते ट्रेफिक के कारण समय पर बड़े चिकित्सा संस्थान नहीं पहुंचने की पीड़ा जताई थी।
मेरे पास पीएचसी के अधिकारी आए थे। यहां नर्सिंग स्टाफ व अन्य चिकित्सक लगाकर 24 घंटे सुविधा शुरू की जाएगी। इसको शीघ्र चालू करेंगे। क्षेत्रीय पार्षद भी अस्पताल का दर्जा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
– डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ